राजनाथ सिंह के खिलाफ लखनऊ से गठबंधन प्रत्याशी पूनम सिन्हा होंगी मैदान में!
दरअसल, समाजवादी पार्टी लखनऊ सीट से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी में थी, जो राजनाथ सिंह को टक्कर देता दिखे..
राजधानी लखनऊ की हाई-प्रोफाइल सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजनाथ सिंह को गठबंधन की तरफ से सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा टक्कर देती दिख सकती हैं. पूनम बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी हैं. सूत्रों के मुताबिक पूनम सिन्हा का टिकट तय हो गया है और मंगलवार को उनके नाम की औपचारिक घोषणा हो सकती है.
दरअसल, समाजवादी पार्टी लखनऊ सीट से किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी में थी, जो राजनाथ सिंह को टक्कर देता दिखे. पिछले दिनों शत्रुघ्न सिन्हा की सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाक़ात भी हुई थी. इस मुलाकात के दौरान पूनम सिन्हा को लखनऊ से टिकट देने की बात हुई थी. लेकिन समाजवादी पार्टी चाहती थी कि पहले शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो जाएं, ताकि लखनऊ सीट से विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार मैदान में हो.
दरअसल, कांग्रेस की तरफ से भी कोई राजनाथ सिंह के खिलाफ कोई लड़ने को तैयार नहीं दिख रहा है. कांग्रेस एक ब्राह्मण चेहरे को यहां से प्रत्याशी बनाना चाहती थी. इसके लिए जितिन प्रसाद को ऑफर भी दिया गया. लेकिन कहा जाता है कि जितिन इसके लिए तैयार नहीं हुए. इसके बाद कांग्रेस ने प्रमोद कृष्णम और हिन्दू महासभा के स्वामी चक्रपाणि महाराज को यहां से लड़ने का ऑफर दिया. लेकिन उन्होंने ने भी मना कर दिया.
अब कहा जा रहा है कि शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस हाईकमान को इस बात के लिए सहमत कर लिया है कि पार्टी लखनऊ से कोई प्रत्याशी मैदान में खड़ा नहीं करेगी. जिससे वोटों के बंटवारे को रोका जा सके. पूनम सिन्हा को मैदान में उतारने के पीछे की एक वजह ये भी बताई जा रही है कि लखनऊ में करीब ढाई लाख के आस-पास कायस्थ मतदाता है. साथ ही उनके नाम के साथ शत्रुघ्न सिन्हा का स्टारडम भी है. इतना ही नहीं पूनम सिन्हा खुद सिन्धी परिवार से आती हैं, जिसका भी एक अच्छा वोट बैंक लखनऊ में है.
उधर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक रोड शो के बाद नामांकन किया. लखनऊ में पांचवें चरण के दौरान 6 मई को मतदान होना है. नामांकन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल है. लिहाजा कहा जा रहा है कि आज शाम तक पूनम सिन्हा के नाम की घोषणा कर दी जाएगी.
लखनऊ सीट पिछले दो दशक से बीजेपी का एक मजबूत गढ़ रही है. इस सीट पर कब्जे के लिए कांग्रेस समेत समाजवादी पार्टी और बसपा हमेशा से ही जोर आजमाइश करती रही हैं. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की इस सीट को कब्जाने में कामयाब नहीं रहे. 2007 में अटल के राजनीति से संन्यास लेने के बाद इस सीट से 2009 में लालजी टंडन सांसद बने. उसके बाद 2014 में राजनाथ सिंह यहां से भारी मतों से जीते.