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पंचायत चुनाव पर लगी रोक हटी, चुनाव की मिली अनुमति

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मीडिया लाइव, नैनीताल : नैनीताल/देहरादून। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव कराने की राह अब पूरी तरह साफ हो गई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनाव पर लगी रोक को हटा दिया है, जिससे राज्य निर्वाचन आयोग को अब चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई है। पंचायत चुनाव पर लगी रोक हटी, चुनाव की मिली अनुमति।

हाईकोर्ट के इस अहम फैसले के बाद अब पंचायत चुनाव की तैयारियों को फिर से गति मिलेगी। सूत्रों के अनुसार, निर्वाचन आयोग द्वारा जल्द ही संशोधित तिथि और चुनाव कार्यक्रम जारी किया जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पूर्व कुछ संवैधानिक एवं कानूनी बिंदुओं को लेकर पंचायत चुनाव पर रोक लगी हुई थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है, और इस फैसले को राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के रूप में देखा जा रहा है।

चुनावों की तिथि और विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही राज्य भर में आदर्श आचार संहिता लागू होने की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं, प्रत्याशियों और प्रशासनिक अमले के लिए यह निर्णय बड़ी राहत और स्पष्टता लेकर आया है।

इसके अलावा उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों पर तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी प्रत्याशी को इसमें आपत्ति है तो वह कोर्ट में अपना पक्ष रख सकता है। आज हुई सुनवाई में ब्लॉक प्रमुख सीटों का आरक्षण निर्धारित करने व जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण निर्धारित न करने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए।

कोर्ट को बताया गया कि ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव एक ही तरह से होता है। एक याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में ग्राम प्रधानों के 63 फीसदी सीटें आरक्षित की गई। वहीं शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से आरक्षण रोस्टर में कई सीटों के लंबे समय से एक ही वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलने का उल्लेख करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 243 व सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए आदेशों के खिलाफ बताया।

महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना व वर्तमान पंचायत चुनाव को प्रथम चरण माना जाना आवश्यक था।