खेती- किसानी

धामी सरकार के एप्पल मिशन को भालू लगा रहा पलीता

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भालू का आतंक: सेव के बगीचे को पहुंचा रहा नुकसान

मीडिया लाइव, बीरोंखाल/कोटद्वार: पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के मटकुण्ड गांव में एक ताजा मामला सामने आया है, जहां सेव और कीवी काश्तकार विजयपाल सिंह चंद के सेव के बगीचे को रात में आकर भालू नुकसान पहुंचा रहा है। काश्तकार ने बताया कि वह रात को भी चौकीदारी करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके वह अपने सेब के बगीचे को भालू के हमले से नहीं बचा पा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के एप्पल मिशन को भालू पलीता लगाता दिख रहा है। इससे किसानों की उम्मीदें हतोत्साहित होना लाजिमी है।

ये है काश्तकार की परेशानी

विजयपाल सिंह चंद ने बताया कि सेव का बगीचा यह सोच कर लगाया था कि उनकी आजीविका में बढ़ोत्तरी हो सकेगी, लेकिन भालू के हमले से उनका बगीचा नष्ट हो रहा है। उन्होंने बताया कि वह रात को भी बगीचे की रखवाली करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन भालू की चालाकी के आगे उनकी कोशिशें बेकार हो रही हैं। भालू के इस हमले में करीब सौ से ज्यादा पेड़ों को नुकसान पहुंचा है। जिन्हें भालू ने पूरी तरह तोड़ दिया है। इसके अलावा कई पेड़ों पर फल लगे हुए थे, उन्हें भी भालू ने बर्बाद कर दिया है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों से यहां लगातार भालू पूरे कुनबे के साथ देखा गया। लेकिन इस बीच स्थानीय ग्रामीणों ने अकेले भालू को दिन में भी इस इलाके में देखा है।

भालू के हमले को रोकने के लिए क्या करें?

हतोत्साहित और परेशान काश्तकार चंद ने बताया कि उन्होंने वन विभाग और उद्यान विभाग से संपर्क किया है, लेकिन फौरी तौर पर नुकसान की भरपाई और आगे होने वाले संभावित नुकसान का कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है। अब सवाल यह है कि भालू के हमले को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? उनका मानना है कि उद्यान, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को ही मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा।

वन विभाग की भूमिका होनी चाहिए तय

बगीचे के नुकसान का मुआयना करने के लिए वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौके पर आए। जिस पर काश्तकार विजयपाल सिंह ने वन विभाग के अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने और बगीचे को भालू के हमले से बचाने के लिए उचित कदम उठाने की गुहार लगाई है। अब सवाल उठता है कि वन विभाग के पास भालू के हमले को रोकने के लिए क्या उपाय है या वे काश्तकार को भालू के हमले से हुए नुकसान की भरपाई में किस तरह से कर सकते हैं ?

सिविल सीएम वन प्रभाग के डीएफओ पवन नेगी से इस मामले में मीडिया लाइव ने बात बात की। उन्होंने बताया कि हमारे यहां इस तरह के मामलों में काश्तकारों के नुकसान का आंकलन रिजर्व फॉरेस्ट करता है। जिसमें मुआवजे का प्रावधान है। लेकिन इस मामले में जो नुकसान भालू ने किया है, वह उसकी भरपाई करने के लिए संभव नहीं है। ऐसे में इस तरह के नुकसान को भविष्य में किस तरह से कम किया जा सकता है उस पर रिपोर्ट आने पर विचार किया जा सकता है। देखना होगा कि क्या वहां पर किसी विशेष डिवाइस से भालू जैसे जानवर को आने से या भगाने में मदद मिल सकती है। यदि ऐसा संभव हुआ तो उस पर विचार किया जा सकता है ताकि राज्य सरकार की काश्तकारों को औद्यानिकी से स्वरोजगार के उद्देश्य को मजबूती मिले और उन्हें हतोत्साहित नहीं होने दिया जाए।

जिला उद्यान अधिकारी कोटद्वार सतीश शर्मा ने मीडिया लाइव को बताया कि काश्तकार विजयपाल सिंह चंद के बगीचे की जो तस्वीरें सामने आई हैं। पीड़ित काश्तकार के लिए बेहद दुखदाई है। वहीं विभाग के लिए बड़ी चिंता का विषय है। बगीचे की जो हालात भालू ने की है वह बेहद अफसोस जनक है। बगीचे की तस्वीरों को देखकर लग रहा है कि उनके बगीचे में जंगली जानवरों से बचाव के लिए फेंसिंग की व्यवस्था भी की गई है। वहीं पक्षियों से बचाव के लिए नेट भी लगाया गया है।

अब ऐसे में भालू जैसे बड़े जानवरों के हमले से सेब के बगीचे को किस तरह से बचाया जा सकता है यह हमारे सामने भी बड़ा सवाल है कि आखिर इसमें विभाग आगे क्या हल निकाल सकता है। इतना ही नहीं डीएचओ का कहना है कि बागानों को बीमा कवर से संरक्षित करने की पहल भी विभाग कर रहा है, लेकिन उसमें भी मौसम संबंधी या प्राकृतिक आपदाओं में कवर दिया गया है। यानी कि जंगली जानवरों से बगीचों को होने वाले नुकसान को बीमा में कवर नहीं किया गया है। वह बताते हैं कि उद्यान विभाग काश्तकारों को बगीचों को बीमा कवर देने के लिए 75 फ़ीसदी प्रीमियम अनुदान दे रहा है। ताकि आपदाओं या मौसम की मार के चलते उनके नुकसान की भरपाई हो सके।

सरकार के लिए क्यों है एप्पल मिशन जरूरी

उत्तराखंड में एप्पल मिशन राज्य सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य सेब उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। इस मिशन के तहत, सरकार सेब के बागान लगाने वाले किसानों को 80% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है।

एप्पल मिशन के मुख्य उद्देश्य:

  • सेब उत्पादन में वृद्धि: उत्तराखंड को सेब उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने के लिए।
  • किसानों को प्रोत्साहित करना: सेब की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
  • उन्नत किस्म की प्रजातियों का उपयोग: सेब की उन्नत किस्म की प्रजातियों और वायरस फ्री पौधों का उपयोग करना।
  • बागवानी को बढ़ावा देना: राज्य में बागवानी को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए।
  • सेब के बागानों का विकास: जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में सेब के बागानों का विकास करना।
  • किसानों को जोड़ना: अधिक से अधिक किसानों को एप्पल मिशन से जोड़ना और उन्हें सेब उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना।