दर्द: ठेठ पहाड़ी गाँव से अकेले आकर बिरजू मयाल सरकार को दे रहा चेतावनी
मीडिया लाइव, देहरादून : सोमवार को देहरादून के प्रसिद्द गाँधी पार्क में आमरण अनशन जैसे बेहद कठिन धरने पर बैठे नैनीताल जिले से आये हुए एक नौजवान को दून पुलिस जबरन धरना स्थल सहस्त्रधारा रोड स्थित एकता बिहार उठाकर ले गयी। अब यह युवक अपनी मांगो को लेकर एक तम्बू में अपने धरने पर डटा हुआ है। मेन स्ट्रीम मीडिया से दूर होने के बाद भी उत्तराखंड के तमाम सोशल मीडिया के लोग वहां पहंच रहे हैं। बिरजू मयाल को आज सशक्त भू कानून और मूल निवास संघर्ष समिति ने भी अपना समर्थन दिया है। बिरजू मयाल तमाम गंभीर मुद्दों को लेकर यहाँ पहुंचे हैं। रामनगर के पास ठेठ पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्र के कोटाबाग के रहने वाले बृजु को अक्सर लोग सोशल मीडिया पर उनके वीडियो के जरिए जानते हैं। वे अपने अलहदा अंदाज में सड़े हुए सरकारी सिस्टम पर चोट करते हुए लम्बे समय से दिखाई देते रहे हैं। इसी वजह से षड़यंत्र के तहत उन्हें जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा, लेकिन इस सबके बावजूद इस ठेठ पहाड़ी ने अपना मिशन नहीं छोड़ा। वो लगातार भ्रष्ट सिस्टम को खुली चौनौती देता रहता है।

अभी हाल ही में हुए बजट सत्र के दौरान सदन में पहाड़ के लोगों के लिए कैबनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल से यहाँ की सियासत में भूचाल आया हुआ है। राज्य का बड़ा तबका खुदको बेहद आहत महसूस कर रहा है। इसकी बानगी सड़को से लेकर सदन तक में देखी गयी। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री की असंसदीय भाषा से राज्य की धामी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के विरुद्ध जन मानस में असंतोष बढ़ता जा रहा है। लेकिन बावजूद इस पर कोई ठोस निर्णय लेने के लिए बीजेपी सरकार के मंत्रियों और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के बयान लोगो के आक्रोश को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

रविवार को राज्य की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी यूकेडी और पूर्व सैनिक संगठन के बैनर तले मुख्यमंत्री आवास का घिराव किया गया। सरकार को 15 दिन में आरोपी मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल को मंत्री मंडल से बर्खास्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन दिया गया है। इससे पहले शनिवार को बेरोजगार संघ और मूल निवास और सशक्त भू कानून संघर्ष समिति ने गाँधी पार्क से घंटा घर इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति तक मशाल जुलूस निकाला।
उत्तराखंड में प्रेम चंद अग्रवाल की बर्खास्तगी की मांग का मामला लगातार गर्म है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है धामी सरकार और उसके कुछ मंत्रियों के साथ ही विधानसभा स्पीकर ऋतू खंडूरी और कांग्रेस के विधायक भी लोगों के निशाने पर हैं।
वहीं अब नैनीताल के कोटाबाग के युवक बिरजू मयाल ने अकेले गांव से आकर अस्थाई राजधानी देहरादून में प्रेम चंद अग्रवाल की बर्खास्तगी की मांग को लेकर अपना आमरण अनशन शुरू करके सरकार की मुसीबतों को बढ़ाने में अपनी भूमिका और इरादे साफ़ कर दिए हैं। उन्होंने साफ किया कि धामी सरकार जल्द से जल्द अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करे।
बिरजू ने कहा कि यदि सरकार समय पर नहीं चेती और उनकी तमाम मांगों को लेकर कोई सख्त निर्णय नहीं लिया गया तो 2027 में उत्तराखंड के लोग बीजेपी की इस सरकार को जड़ से उखाड़ कर फेंक देंगे। क्योंकि लोगों में सरकार की कार्यप्रणाली से लगातार नाराजगी बढ़ रही है। आज उत्तराखंड में गुजरात के लोग सारे काम कर रहे हैं। यहाँ के लोगों को काम नहीं मिल रहा है। सारे विभागों में भ्रष्टाचार का बोल बाला है। लगातार अपराध बढ़ रहे हैं। अंकिता भंडारी को समय पर न्याय दिलाने में सरकार विफल रही है। असल वीआईपी के नाम का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। इसका मतलब है कि वह बाहर घूम रहा कोई ताकतबर व्यक्ति है।
बिरजू मयाल को सोशल मीडिया पर लोगों का समर्थन मिल रहा है। लेकिन एक विशेष तरीके की नई सियासत को पसंद करने वाला तबका उसके अनोखे अंदाज में उठाए जा रहे गंभीर मुद्दों का मजाक बना रहा है। बृजु मयाल ने राज्य संचालित आपातकालीन सहायता के लिए जारी नंबरों की भी पोल खोल कर रख दी। जिसमें आपात कालीन नंबर 112 और मुख्यमंत्री हेल्प लाइन नंबर 1905 पर भी सवाल उठाए और इसे जरूरी आपातकालीन समय पर विफल करार दिया।
उह्नोने कहा सरकार विज्ञापनों में चल रही है। बड़े होर्डिंग और नारों में चल रही है। जमीन पर स्थिति बेहद ख़राब है। उन्होंने कहा यह लड़ाई मेरे स्वार्थों की नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य को बचाने की है। उन्होंने लोगों से अपील की अभी भी देर नहीं हुई है। उन्होंने कहा बाहर आओ इस आग को अपने घर तक पहुँचने से पहले ही ख़त्म करने के लिए सड़क पर उतरो। बिरजू ने कहा ये राज्य की अस्मिता को बचने का मौका है। हम अहिंसक तरीके से आंदोलन,धरने और आमरण अनशन कर गांधी वादी तरीके से अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं। लेकिन सरकार इसे भी नहीं होने दे रही है।
बिरजू ने बेहद गंभीर हो कर कहा मैं सोमवार को देहरादून के गाँधी पार्क में गांधवादी तरीके से आमरण अनशन पर बैठा था, लेकिन धामी सरकार की पुलिस ने मुझे जबरन वहां से उठाकर यहाँ एकता विहार की गंदगी में छोड़ दिया। उह्नोने कहा स्वच्छता की पहल भी गाँधी ने ही आगे बढ़ाई थी, लेकिन यहाँ गंदगी देख कर लगता है, ये सरकार स्वच्छ भारत जैसे इश्तेहारों से काम चला रही है। वास्तब में इसका स्वच्छता से कोई सरोकार नहीं हैं।

अंत में उन्होंने कहा मेरा ये संघर्ष ऐसे ही चलेगा। इस सड़े गले सिस्टम को सामान्य बातें समझ में नहीं आती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसका पुरजोर विरोध मेरे जैसे लोग आगे भी करते रहेंगे।

उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के महासचिव अमित परमार भी बिरजू मयाल को समर्थन देने के लिए एकता बिहार धरना स्थल पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह का जुनून और पागलपन राज्य के भविष्य की चिंता के लिए बृजू मयाल के अंदर है, ऐसा ही जुनून देश की आजादी के लिए लड़ने वाले हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के अंदर था। सबने अपने अपने ढंग से देश को गोरे अंग्रेजों से आजादी दिलाई थी। वैसे ही आज राज्य के हक हकूकों के लिए बृजू और उसके जैसे बहुत सारे युवा लड़ रहे हैं। हमारी परिषद उनका समर्थन करती है। उन्होंने कहा अलग राज्य की लड़ाई में राज्य के आंदोलनकारियों अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। आज पच्चीस साल बाद भी राज्य के युवाओं को आंदोलित होना पड़ रहा है। जबकि आज पहाड़ के ही ज्यादातर लोग सत्ता का संचालन कर रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। इसका पुरजोर विरोध जारी रहना चाहिए। जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को मनमानी को खत्म करने की जरूरत है।

इस दौरान सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 संघर्ष समिति के लुसन टोडरिया ने बिरजू मयाल के आमरण अनसन को अपना समर्थन दिया और उनकी सभी मांगो को वाजिब बताया। उन्होंने कहा कि बृजु मयाल जैसे न जाने कितने युवा इस सरकारी सिस्टम से तंग आ कर यहाँ अपने घर गांव परिवार और बच्चों को छोड़कर आंदोलित हैं। हम सबको एक साथ खड़े होने की जरूरत है। उन्होंने कहा सरकार लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। आज हमारे जल, जंगल, जमीन सब पर बाहरी माफियाओं की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। उन्होंने कहा सरकार जिस भू कानून को शब्दों के जाल में घुमा कर सख्त बता रही है उसने हमारे संसाधनों की लूट के लिए नए और आसान रास्ते खोल दिए हैं। उन्होंने चेताया कि सरकार किसी मुगालते में न रहे जनता सब समझ रही है। सरकार की चालाकियां और पिछले दरवाजों के लिए खोले गए रास्तों का पता जनता को लग चुका है। उन्होंने कहा हमारा ये संघर्ष और मांग लगातार जारी रहेगी। हम इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचा कर रहेंगे।
अब देखने वाली बात ये होगी कि धीरे धीरे नए नए मुद्दे सरकार या सरकार से जुड़े हुए जिम्मेदारों की तरफ से मनमाने तरीके से लोगों के सामने छोड़े जा रहे हैं उन पर कब तक लगाम लगती है। या ये मनमानी उत्तराखंड के जनमानस को यूंही कचोटती रहेगी। या इसके इतर बिरजू मयाल, लुसन तोडरिया, मोहित डिमरी, राम कंडवाल, बॉबी पंवार जैसे युवाओं को आंदोलित करने के लिए मजबूर करती रहेगी और वहीं राज्य के ज्यादातर लोग महज़ वोटर बनकर मूक बधिर बने रहेंगे।