पदोन्नति न होने पर सामूहिक त्याग पत्र देंगे ये मिनिस्ट्रियल कर्मी
मीडिया लाइव,पौड़ी : उत्तराखंड फेडरेशन ऑफ़ मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन ने मांगे न माने जाने से नाराज हो कर 6 जुलाई से सामूहिक सशर्त त्याग पत्र देने का ऐलान किया है. विभागीय निदेशक पर हठ धर्मिता का आरोप लगाते हुए कर्मचारियों ने जनपद पौड़ी के सभी विधायकों को इस सम्बन्ध में ज्ञापन दिए हैं. इसके अलावा जिले के प्रभारी मंत्री यशपाल आर्य को भी ज्ञापन सौंपा गया है. सामूहिक त्यागपत्र की जानकारी का एक पत्र विभागीय निदेशक को भी भेजा गया है. जबकि इस बावत कर्मचारी संगठन महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्या को भी अवगत करा चुका है.
राज्य सरकार की तरफ से शासनादेश जारी होने के बावजूद बाल विकास विभाग के मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं दी जा रही है. इसके अलावा शासन के निर्देश के बाद भी महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफिंग पैटर्न लागू नहीं किया जा रहा है. इसके लिए विभागीय संगठन के कर्मचारियों ने हड़ताल तक की. हड़ताल समाप्त होने से पहले निदेशालय स्तर के अधिकारियों और संगठन के बीच हड़ताल के दिनों का वेतन देने और पदोन्नति प्रक्रिया के साथ ही स्टाफिंग पैटर्न लागू करने को लेकर समझौता हुआ. लेकिन इस पर किसी तरह की ब्यवहारिक कार्यवाही अभी तक नहीं हो पाई. अब एक बार फिर से इन कर्मचारियों ने पौड़ी जनपद के विधायकों को अपनी इस मांग का ज्ञापन दिया है. उत्तराखंड फेडरेशन ऑफ़ मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन ने मांगे न माने जाने से नाराज हो कर 6 जुलाई से सामूहिक सशर्त त्याग पत्र देने का ऐलान किया है. विभाग के इन कर्मियों की पीड़ा इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि अन्य विभागों में स्टाफिंग पाटर्न और पदोन्नति की प्रक्रिया शासनादेश जारी होने के बाद से ही शुरू कर दी गई थी. जोकि अब तक संपन्न भी हो चुकी है. इस बीच महकमे के कई कर्मचारी पदोन्नति का लाभ लेने से वंचित रह गए हैं, जो कि इस बीच सेवानिवृत्त हो चुके हैं. फेडरेशन के मंडलीय अध्यक्ष सोहन सिंह रावत ने बताया कि ऐसे में कर्मचारियों में भारी निराशा और रोष ब्याप्त होता जा रहा है. लिहाजा संगठन ने अब सामूहिक त्यागपत्र देने का निर्णय लिया है. इस मामले में मीडिया लाइव ने फ़ोन से विभागीय निदेशक से कर्मियों की मांगे अभी तक न माने जाने पर उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने के कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई. अब देखना यह है कि कार्मिकों की सामूहिक त्यागपत्र की घोषणा और मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है.