उत्तराखण्ड न्यूज़करप्शन/क्राइमसियासत

अब जाकर लगा गणेश गोदियाल पर गड़बड़ी का आरोप ! जनता के कठघरे में मुद्दा !

FacebookTwitterGoogle+WhatsAppGoogle GmailWeChatYahoo BookmarksYahoo MailYahoo Messenger

देहरादून: सियासत बड़ा कमाल का खेल है। सत्ता में रहो, विपक्ष में रहो या सड़क पर यह खेल बदस्तूर जारी रहता है। कोई कायदा नियम नैतिकता जैसे मानकों का इसमें कोई स्थान नहीं । उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाने के लिए एक खबर सामने आई है।

पढ़िए आखिर क्या है पूरा मामला ? खबर के मुताबिक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की मुश्किलें आने वाले समय में बढ़ सकती हैं। साल 2012 से 17 के बीच बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल में मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इस संबंध में आशुतोष डिमरी ने चमोली के प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत को पत्र लिखा है। जिसके बाद अब ये मामला गर्म हो गया है। बता दें की जिले के प्रभारी मंत्री रावत श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल इसी सीट पर उनके कड़े राजनीतिक प्रतिद्वंदी हैं। दोनों की सियासी लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। दोनों जमीनी और जुबानी स्तर पर एक दूसरे को चुनौती देते रहते हैं। बात फिर चाहे क्षेत्र के विकास की हो या निजी यहां माहौल हमेशा गर्म रहता है।

अब खबर विस्तार से :

दरअसल मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने मंदिर समिति पर कांग्रेस शासनकाल 2012 से वर्ष 2017 के बीच भारी वित्तीय अनियमितताओं करने का आरोप लगाया है. बीकेटीसी के सदस्य ने आरोप लगाए गए हैं कि 2012 से वर्ष 2017 में मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल के कार्यकाल में मंदिर समिति में भारी गड़बड़ियां हुई हैं। सदस्य की शिकायत के आधार पर प्रभारी मंत्री ने अब मुख्य सचिव और धर्मस्व सचिव को पत्र लिखकर जांच के आदेश दे दिए हैं।

मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने शिकायती पत्र में लिखा है बदरीनाथ एवं केदारनाथ में भगवान की तिजोरी पर किस तरीके से डाका डाला गया है. इसका पुख्ता प्रमाण सामने दिखाई दे रहा है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के दो अधिकारियों ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से करोड़ों लुटा दिए।

इस पत्र में तत्कालीन मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर वर्तमान मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने आरोप लगाते हुए लिखा है कि वर्ष 2015 में मंदिर समिति के पैसों से जनपद टिहरी में एक सड़क बना दी गई। वहीं, 2015 में पोखरी में स्थित एक शिवालय का उनके द्वारा पुनर्निर्माण करवाया गया, जो मंदिर समिति के अधीन ही नहीं था। इस मंदिर के निर्माण में बिना निविदा के काम करवाया गया जिस पर 15 लाख रुपए खर्च हुए।

इसके साथ ही उनके द्वारा उस समय बिना अनुमति के कई सारी भर्तियां भी करवाई गई हैं। जिसका उल्लेख इस शिकायती पत्र में है। भगवान बदरीनाथ के प्रसाद के लड्डू में भी बड़ा गोलमाल किया गया है. इसका भी समिति के सदस्य ने आरोप लगाया गया है।

सदस्य का कहना है बदरीनाथ में चौलाई के बद्रीश लड्डू का कार्य बिना निविदा के दिया गया। इसमें अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी के द्वारा अपने चहेते को कार्य दिया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश और वर्तमान में श्रीनगर के एक व्यवसाई को इस कार्य का जिम्मा दिया गया। इसके साथ ही अवर अभियंता अनिल ध्यानी को 2 वर्ष में ही कैसे अधिशासी अभियंता बना दिया गया इस पर भी सवाल उठते हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि यह पूरा मामला कितना सच और कितना राजनीतिक नफे नुकसान का है ?