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कोई आवेदन नहीं, 50 साल का तप स्वयं फलीभूत हुआ, डॉ यशवंत सिंह कठोच को मिला पद्मश्री सम्मान…

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मीडिया लाइव, देहरादून : मूल रूप से पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक के रहने वाले जाने माने इतिहासकार और शिक्षक रहे डॉ यशवंत सिंह को इस बार राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री से नवाजा है. यह बात उत्तराखंड के इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले तमाम लोगों के लिए ख़ुशी का पल है. डॉ कठोच वर्तमान में जिला मुख्यालय स्थित अपने एक छोटे से घर में रहते हैं . बेहद सामान्य जीवन पयपान करने में विश्वास रखते हैं. वे अधिकांश अपने घर पर राखी हुई सैकड़ों किताबों के बीच एक अपने अध्ययन केंद्र में देखे जा सकते हैं .

हमेशा से लिखने-पढ़ने वाले कठोच उत्तराखंड में इतिहास के गूढ़ रहस्यों को उद्घटित करते रहे हैं. पुरस्कारों और सम्मानों के लिए उन्हें कभी किसी पैरोकारी की चर्चा में नहीं देखा गया. शायद यही कारन है कि जिस किसी ने भी उनका नाम इस बार राष्ट्रीय पुरूस्कार के लिए भेजने का का निर्णय लिया होगा वह कहीं न कहीं सिक्षा और शोध , इतिहास को लेकर संजीदा ही रहा होगा.

बता दें कि उत्‍तराखंड पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया है.डॉ कठोच का ये पद्मश्री सम्‍मान साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य के लिए दिया गया है. उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह ने इस सम्‍मान के लिए डॉ यशवंत को बधाई और शुभकामनाएं भेजी हैं।

सीएम धामी ने DIPR के जरिये एक पोस्ट में लिखा है “वर्ष 2024 के लिए घोषित पद्म पुरस्कारों में उत्तराखण्ड के यशवंत सिंह कठोच जी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। उत्तराखण्ड के इतिहास एवं साहित्य संकलन के क्षेत्र में श्री कठोच का अद्वितीय योगदान है।”

गौरतलब है कि प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच ने शिक्षक के रूप में 33 वर्षों तक सेवाएं दी हैं। डॉ कठोच इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं। गणतंत्र दिवस 2024 के अवसर पर डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री दिए जाने पर इतिहासकारों, साहित्यकारों, शिक्षकों, लेखकों, लोक कलाकारों व संस्कृति कर्मियों ने खुशी जाहिर करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।

गणतंत्र दिवस के मौके पर डॉ कठोच को पद्मश्री दिए जाने पर प्रदेश के इतिहासकारों , शिक्षकों , लेखकों , लोककलाकारों और संस्कृति कर्मियों ने ख़ुशी जाहिर करते हुए हुए ख़ुशी जाहिर की है।