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MEDIA LIVE: सहकारिता भर्ती घोटाला, जांच रिपोर्ट आने ही वाली है, मंत्री लेंगे कड़ा एक्शन !

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सरकार बनने से पहले विधानसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान आनन–फानन में उत्तराखंड जिला सहकारी बैंकों में हुए कथित भर्ती घोटाले का राज जल्द ही बाहर आने वाला है। बताया जा रहा है कि 15 सितंबर तक जांच पूरी हो जाएगी। दो जिला सहकारी बैंकों की जांच लगभग पूरी हो चुकी है, और एक सप्ताह के भीतर तीनों जांचें जांच अधिकारी शासन के शीर्ष अफसरों के सुपुर्द कर देंगे। इस विभागीय जांच में जो भी गड़बड़ियां पाई जाएंगी, उस पर सख्त कार्रवाई किए जाने के संकेत विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत दे चुके हैं।

देहरादून: उत्तराखंड में जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया में हुई कथित गड़बड़ी की जांच लगभग पूरी होने वाली है। जिस तरह से प्रदेश में सरकारी विभागों में नौकरियों में हुई धांधलेवाजी को लेकर सियासत बेहद गरम है और बेरोजगार नौजवान सड़कों पर उतर आए हैं, उससे लगता है कि डीसीबी की इन नियुक्तियों में बड़ी गड़बड़ पाए जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना तय है। बताया जा रहा है कि ये भर्तियां विधानसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान बैंकों के बोर्ड प्रबंधन द्वारा की गईं हैं। जिनमें अनियमिताएं पाए जाने के संकेत मिले हैं।

राज्य में दूसरी बार बीजेपी नेतृत्व की सरकार बनने के बाद जब इन भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायतें मिलनी शूरु हो गई तो, विभागीय मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, तुरंत इस पर जांच के आदेश दे दिए।

बता दें कि विपक्ष की तरफ से इन भर्तियों को बड़ा मुद्दा बनाया गया। इसके अलावा सोशल मीडिया में मंत्री को भी इसमें घसीटा जा रहा है। लेकिनी लोकतंत्र में नैतिकता के आधार पर उठने वाले सवालों के जवाब और शिकायतों की जांच से ही जवाब दिया जा सकता है। लिहाजा बस एक सप्ताह के बाद कभी भी जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती में हुई गड़बड़ी का पूरा मामला सबके सामने आ जाएगा।

सहकारिता से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 15 सितंबर तक पूरी जांच रिपोर्ट विभाग के आलाधिकारियों के सम्मुख पेश कर ली जाएगी। इसके बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है। इस बात का इशारा विभागीय मंत्री दे चुके हैं।
सहकारिता के जानकर बताते हैं कि बैंक के अपने बोर्ड होते हैं। इन्हें तमाम शक्तियां हासिल हैं। इसपर बतौर विभाग सामान्य तौर पर कार्यकारी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता। लेकिन बड़ी गड़बड़ियों की शिकायत मिलने पर पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष जांच विभाग करता है, जो इस प्रकरण में भी जारी है।

शासन से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि इस भर्ती नियुक्ति में कई प्रमाण पत्र फर्जी लगाए गए हैं। इसके अलाव अलग अलग परीक्षा की आंसर शीट तक बदल दी गई। जिसमें परीक्षकों के फर्जी साइन कर अपने चहेतों के नंबर बढ़ा दिए गए। इतना ही नहीं बड़ी तेजी के साथ रिजल्ट घोषित कर नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। इस गोलमाल से कुछ लोगों के ऑडियो कॉल की रिकॉर्डिंग तक विभाग के लोगों के बीच चर्चा का कारण बने हैं। इस पूरे घपले में प्रबंधन के कई पदाधिकारी सीधे तौर पर शामिल हैं।

गौरतलब है कि इन भर्तियों से सहकारिता विभाग की साख को जबरदस्त बट्टा लगा है। लिहाजा विभागीय मंत्री ने हर शिकायत को बेहद गंभीरता से लेकर जांच के हर पहलू पर फोकस करने के निर्देश दिए थे। इसमें यह भी ध्यान रखा गया कि विभाग के स्तर पर मामले में कोई भी अधिकारी जांच को प्रभावित न कर सके इसके लिए नियुक्ति में शामिल सभी अधिकारियों को पहले ही अटैच कर दिया गया।

अब बस इंतजार जांच रिपोर्ट के सामने आने और सार्वजनिक किए जाने का हो रहा है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और सहकारिता विभाग की साख बनी और बची रहे। इसके इतर सोशल मीडिया और सियासी गलियारों में मच रहा हल्ला शांत हो।