MEDIA LIVE : सेना और अर्द्धसैनिक बल बुझाएंगे उत्तराखंड के जंगलों की आग

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मीडिया लाइव , देहरादून : उत्तराखंड के वनों में हर साल गर्मी के मौसम में लगाने वाली आग विकराल हो जाती है। यह सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है। लेकिन अब इस पर नए सिरे से शीर्ष स्तर पर नई तयारी की जा रही है। इसके लिए प्रमुख सचिव ने विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ वनाग्नि नियंत्रण, प्रबन्धन के लिए राजस्व विभाग, ग्राम प्रधानों एवं स्थानीय ग्रामीणों की भूमिका तय करते हुए उनका सक्रिय सहयोग प्राप्त करने पर जोर दिया है।

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बिजली के तारों से निकलने वाली चिंगारी से कहीं जंगल में आग न लग जाए, इसलिए शासन ने आठ जिलों के जंगल से गुजरने वाली ट्रांसमिशन लाइनों की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए पटवारी चौकियों को क्रू-स्टेशनों में बदलने की योजना बनाई है।इसके साथ ही एसडीआरएफ, आपदा क्यूआरटी और अन्य अर्द्धसैनिक बलों का भी वनाग्नि पर नियंत्रण में सहयोग लेने की जरूरत पर बल दिया गया। इस बाबत जारी प्रमुख सचिव आरके सुधांशु के आदेश में जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा गया है।

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प्रदेश में 20 अप्रैल तक वनाग्नि की 799 घटनाएं हुई जिससे 1133 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इनमें से 90 फीसदी घटनाएं अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी एवं चंपावत जिले में हुईं। प्रमुख सचिव ने विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ वनाग्नि नियंत्रण, प्रबन्धन के लिए राजस्व विभाग, ग्राम प्रधानों एवं स्थानीय ग्रामीणों की भूमिका तय करते हुए उनका सक्रिय सहयोग प्राप्त करने पर जोर दिया है।

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सिविल, वन पंचायत एवं कई आरक्षित वनों में वनाग्नि घटनाओं का मुख्य कारण (तेज हवाओं के कारण) वनों से सटी हुई कृषि भूमि में पराली (आड़ा) जलाना बताया गया है। वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन शुष्क मौसम है और पराली (आडा) जलाने पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वनाग्नि बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। ग्रामीण कृषि भूमि में पराली न जलाएं इसके लिए उनसे अपील किए जाने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही विभागीय अधिकारियों को सतर्क करते हुए हर दिन शाम चार बजे तक वन मुख्यालय को वनाग्नि की सूचना देने के लिए कहा गया है। शासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा जानबूझकर या रंजिश में आग लगाने के मामले सामने आए हैं। इन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

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