MEDIA LIVE: मसूरी गोलीकांड के 28 साल पूरे, दो सितंबर 1994 के जख्म याद हुए हरे !
आज मसूरी गोलीकांड की 27वीं बरसी है, लेकिन राज्य आंदोलनकारी पहाड़ का पानी, जवानी और पलायन रोकने की मांग लगातार कर रहे हैं। खटीमा गोलीकांड के विरोध में दो सितंबर 1994 को आंदोलनकारी मसूरी में गढ़वाल टैरेस से जुलूस निकाल रहे थे। इसी बीच पुलिस ने गोलियां चला दीं थीं।
मीडिया लाइव, देहरादून: दो सितंबर 1994 की वह सुबह पलभर में ही कितनी दर्दनाक बन गई थी, उस जख्म को कोई नहीं भूल पाएगा. आज मसूरी गोलीकांड की 28वीं बरसी है लेकिन राज्य आंदोलनकारी पहाड़ का पानी, जवानी और पलायन रोकने की मांग लगातार कर रहे हैं। 1 सितंबर 1994 को खटीमा में पुलिस ने राज्य आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाईं थीं। 2 सितंबर को मसूरी में उससे भी वीभत्स गोलीकांड हुआ।
मसूरी गोलीकांड की बरसी पर राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य का निर्माण शहीदों के संघर्ष व बलिदान से हुआ है। राज्य बनाने के लिए अनेक आंदोलनकारियों ने कुर्बानी दी। कुछ हद तक राज्य विकास के पथ पर अग्रसर है, लेकिन इस बीच सत्ता में काबिज सियासी पार्टियों के नेताओं ने इस अलग राज्य के सपनो पर पलीता लगाने में कोई गुरेज नहीं किया। बावजूद इसके उन शहीदों के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता, जिनके संघर्ष बलिदान के बाद राज्य का निर्माण हुआ है। प्रदेश के विकास के लिए हर व्यक्ति को निष्ठा व कार्य के प्रति समर्पित होकर योगदान देना होगा।