टिहरी झील में डूबा चलता-फिरता मरीना रेस्तरां, ख़र्चा 4 करोड़ आमदनी 300 रुपए।
नई टिहरी, सात मई (भाषा) टिहरी क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये टिहरी झील में उतारा गया करीब ढाई से चार करोड़ रुपये लागत का चलता—फिरता रेस्तरां ‘मरीना बोट’ का आधा हिस्सा मंगलवार को पानी में डूब गया ।
विकास की पोल खोलती एक छोटी सी घटना – सिर्फ कागजों तक सीमित है पर्यटन उद्योग
‘पिछले साल 16 मई को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट भी मरीना के ऊपर हुई थी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मरीना सहित टिहरी झील के विकास की बात यहां पर कही थी, लेकिन अब मरीना डूब चुका है।
आज तड़के मरीना बोट का आधा हिस्सा टिहरी झील में समा गया। हालांकि पर्यटन विभाग और टिहरी झील विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण के कर्मचारी रस्सों के सहारे इसे बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार की ऐतिहासिक कैबिनेट का गवाह बना फ्लोटिंग मरीना आखिरकार टिहरी झील में डूब गया। खबरों के अनुसार लगभग चार करोड़ रुपये की लागत से फ्लोटिंग मरीना वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन सरकार और पर्यटन विभाग चार साल में भी इसका संचालन शुरू नहीं करा पाए। जिस कारण मरीना टिहरी झील में खड़े खड़े पानी के थपेड़े खा रहा था। बीती रात फ्लोटिंग मरीना का आधा हिस्सा टिहरी झील में डूब गया।
वर्ष 2015 में चार करोड़ की लागत का तैरता रेस्तरां फ्लोटिंग मरीना तैयार किया गया था। इसके निर्माण के पीछे सरकार और विभाग की मंशा थी कि टिहरी झील घूमने आने वाले पर्यटकों को मरीना एक नया अहसास और रोमांच देगा। तैरते मरीना में पर्यटक खाने पीने का लुत्फ उठा सकेंगे, लेकिन उसके बाद मरीना का संचालन विभाग शुरू नहीं करा पाया।
2015 से ही मरीना झील के किनारे खड़े खड़े पानी के थपेड़े खा रहा था। झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते पिछले साल भी मरीना एक पहाड़ी पर फंस गया था। उस दौरान मरीना के शीशे और कई अहम पाटर्स भी क्षतिग्रस्त हो गए थे।
- टिहरी झील को साहसिक खेल गतिविधियों का केंद्र बनाने की कवायद वर्ष 2015 में शुरू की गयी थी। इसी उद्देश्य से झील में मरीना बोट और बार्ज बोट भी उतारे गए थे ।
- मरीना का जहां झील के बीच में आधुनिक रेस्तरां की भांति खाने-पीने और मनोरंजन के लिए उपयोग किया जाना था वहीं बार्ज बोट को टिहरी से प्रतापनगर जाने वाले बांध प्रभावितों और यात्रियों को वाहनों समेत आर-पार करवाना था।
- मरीना की लागत करीब ढाई करोड़ रुपये थी जबकि बार्ज बोट 2.17 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गयी थी ।
- इनका उद्देश्य दोनों परिसंपत्तियों को लीज पर देकर यात्रियों को झील में आकर्षित कर लाभ कमाना था
- कुप्रबंधन के चलते न तो कोई पीपीपी पार्टनर इनके संचालन के लिये आगे आया और न ही प्राधिकरण इनका संचालन कर पाया। टिहरी झील में साहसिक और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये पिछले साल 16 मई को रावत मंत्रिमंडल की बैठक पहली बार पानी में तैरते होटल ‘मरीना’ में की गयी थी ।
क्या बोले अधिकारी
- एसएस यादव (जिला पर्यटन अधिकारी टिहरी गढ़वाल) का कहना है कि मरीना का एक हिस्सा पानी में डूब गया है। उसे निकालने के प्रयास किए जा रहे है।
- उपजिलाधिकारी और प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजयवीर सिंह का कहना है कि झील का जल स्तर कम होने से मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया था और यह हिस्सा पानी में डूब गया। उन्होंने बताया कि रस्सियों, तारों और पॉवर बोट के सहारे मरीना को खड़ा कर सुरक्षित स्थान पर रखने की कोशिश की जा रही है। सिंह ने कहा कि इसे बाहर निकालने के बाद इस घटना की समीक्षा की जायेगी ।
तो क्या लापरवाही से बर्बाद हुआ मरीना
पर्यटन विभाग चार साल में मरीना का संचालन नहीं करा पाया। अगर मरीना का संचालन होता तो वह इस तरह खराब न होता और न झील में डूबता। कई बार स्थानीय बोट संचालकों और युवाओं ने पर्यटन विभाग से मरीना के संचालन की मांग की लेकिन विभाग ने मरीना का संचालन शुरु नहीं किया। स्थानीय बोट संचालक कुलदीप पंवार का कहना है कि अगर पर्यटन विभाग स्थानीय युवाओं को मरीना के संचालन का जिम्मा देता तो इस तरह मरीना और ढाई करोड़ रुपये बर्बाद नहीं होते।
बार्ज की स्थिति भी जर्जर
टिहरी झील में सात करोड़ की लागत से तैयार कराई गई बार्ज बोट (माल ढुलाई की बड़ी नाव) की स्थिति सही नहीं है। टिहरी झील बनने के बाद प्रतापनगर ब्लाक के करीब डेढ़ लाख आबादी अलग-थलग पड़ गई। जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए यहां के लोगों को 120 किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी पड़ती है। इसमें करीब चार घंटे लग जाते हैं। जबकि झील को पार कर यह दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर रह जाती है। ऐसे में माल ढुलाई के लिए पर्यटन विभाग ने बार्ज को तैयार किया था। लेकिन चार साल बाद भी पर्यटन विभाग बार्ज का संचालन भी शुरू नहीं करा पाया। ऐसे में बार्ज बोट भी जर्जर हो गई है। पिछले साल बार्ज में एक छेद भी हो गया था जिससे पानी रिसने लगा था। उसके बाद उसकी विभाग ने मरम्मत कराई थी।