उत्तराखण्ड न्यूज़करप्शन/क्राइमसंस्कृति-पर्यावरण

पुरोला महापंचायत पर उच्च न्यायालय ने दिए सख्त निर्देश

FacebookTwitterGoogle+WhatsAppGoogle GmailWeChatYahoo BookmarksYahoo MailYahoo Messenger

मीडिया लाइव, नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट में पुरोला उत्तरकाशी में 15 जून को धार्मिक संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने के ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने इस तरह के आयोजनों से सरकार सख्ती से निपटे और कानून व्यवस्था खराब करने वालो पर कानूनी कार्यवाही करे। कोर्ट की खंडपीठ ने टीवी डिबेट और सोसल मीडिया में प्रतिभाग करने पर प्रतिबंध लाने के साथ ही धरना प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 3 सप्ताह बाद की तिथि नियत की ही।

आपकों बता दे कि एसोसिएशन फ़ॉर द प्रोटक्शन ऑफ सिविल राइट्स के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने बुधवार की दोपहर को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ के समक्ष पुरोला में उपजे साम्प्रदायिक तनाव के बीच 15 जून को हिन्दू संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने हेतु याचिका मेंशन करते हुए बताया कि उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अवकाश कालीन खण्डपीठ के समक्ष अपील की थी । किन्तु सुप्रीम की अवकाश कालीन पीठ से इस याचिका को सुनने से इंकार करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने को कहा।

शाहरुख आलम ने कोर्ट को बताया कि पुरोला की एक नाबालिग लड़की को दो युवकों द्वारा बहला फुसलाकर भगाने के बाद पुरोला में साम्प्रदायिक तनाव बना है। हालांकि आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं । इसके बाद पुरोला से धर्म विशेष की दुकानों को खाली कराया जा रहा है और उन दुकानों के बाहर धार्मिक संगठन ने चेतावनी भरे पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने महापंचायत में धार्मिक संगठनों के नेताओं द्वारा “हेट स्पीच” दिए जाने की आशंका जताई जिससे साम्प्रदायिक माहौल खराब होगा।