विशेषज्ञों की बात : हमारा इम्युनिटी सिस्टम ऐसे काम करता है
विशेषज्ञों की बात :- आपने ऐंटीबॉडी शब्द तो पढा या सुना ही होगा. क्या है ये ? और क्या काम करता है. कहां से आता है. तो अब आप तफशील से जान लीजिए कि जब हम बात कर रहे हैं हमारे इम्युनिटी सिस्टम की तो उसे बिना इस ऐंटीबॉडी के बिना नहीं समझ सकते हैं. दरसल जब कोई वायरस मानव शरीर या किसी भी जीवित शरीर पर हमला करता है, तो हमारी प्रातिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम कई तरह के एंटीबॉडी उत्पन्न करता है. ये एंटीबॉडी तत्व ही वायरस के खास लक्षणों की पहचान कर उस पर तेजी से हमला शुरू कर देते हैं.जिसे साधारणत: हम शरीर की रोगों से लड़ने की प्रातिरोधक क्षमता के तौर पर जानते हैं. ये आप ने अक्सर पढ़ा भी होगा. एंटीबॉडीज का यह हमला तब तक जारी रहता है, जब तक वायरस शरीर में पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाते.
हालांकि, वायरस का हमला खत्म होने के बाद एंटीबॉडी की मौजूदगी शरीर में घटने लगती है. लेकिन दोबारा पैथोजेन मिलने पर ये पुनः हमला शुरू कर देते हैं. वायरस के शरीर को नुकसान पहुंचाने से पहले ही उन्हें एंटीबॉडी खत्म कर देते हैं.
वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम कब तब कारगर रहता है ?
हमारा इम्यून सिस्टम कुछ पैथोजेन को कभी नहीं भूलता है. एक बार संपर्क में आने के बाद इम्यून सिस्टम हर बार उसकी पहचान कर उससे लड़ाई जीत लेता है. पोलियो और चिकनपॉक्स के वायरस इसके उदाहरण हैं.
हालांकि, कुछ माइक्रोब्स ऐसे भी हैं, जिन्हें शरीर का इम्यून सिस्टम लंबे समय तक याद नहीं रखता है. चार तरह के कोरोना वायरस इसी श्रेणी में आते हैं. इनके चलते सामान्य फ्लू के लक्षण दिखते हैं. कोविड-19 की बीमारी भी इसी तरह के वायरस से होती है. ऐसे वायरस को शरीर का इम्यून सिस्टम कुछ ही महीनों या दो साल में भूल जाता है. यही वजह है कि लोगों को बार-बार फ्लू होता है.