छोटे और मझोले कर्जदाताओं को सरकार दे रही स्वर्णिम मौका

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मीडिया लाइव, देहरादून : सहकारिता ही प्रजा तंत्र की आधारशिला है आपने ये टैग लाइन तो सुनी या पढ़ी ही होगी. उत्तराखंड का सहकारिता विभाग डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में गरीब और आम आदमी के लिए समान अवसर मुहैया कराने और उनके बोझ को कम करने को लेकर लगातार प्रयास कर रहां है. इसी कोशिश में प्रदेश के सहकारी बैंकों के कर्जदारों के कर्ज की मुश्किलों को गंभीरता से लेकर 100 दिन के लिए एक स्कीम लॉन्च की गयी है. इस स्कीम में छोटे कर्जदारों को कर्ज लौटाने के लिए कई रियायतों के साथ बैंक का कर्जा चुकाने की व्यवस्था की गयी है. सरकार की इन कोशिशों से लगातार बढ़ रहे एनपीए को कम करके बैंक को मजबूत करने और सहकारिता विभाग के जरिये प्रदेश के गरीब और मध्यम वर्ग की आर्थिकी को मजबूती देने के रूप में देखा जा रहा है. यह अपनेआप में वाकई सरकार की बड़ी कवायद है. जिससे सूबे के कई घरों, छोटे और मझोले कारोबारियों को भी फायदा मिलेगा.
डाॅ धन सिंह रावत ने सहकारिता विभाग अफसरों को राज्य सरकार की सोच को धरातल पर उतरने का एक टास्क सौंपा है. उन्होंने सहकारिता बैंक से सम्बन्धित एकमुश्त समाधान योजना, वन टाइम सैटलमेंट को लागू करने का निर्देश दिया। यह योजना 100 दिन की होगी, जिसकी अवधि 1 जुलाई से 7 अक्टूबर, 2019 के बीच होगी। इस योजना में 60 लाख तक ऋण वाले खाता धारक कर्जदारों को लाभ दिया जायेगा।
इस योजना के तहत पहली श्रेणी के अन्तर्गत, ऐसे मृतक खाताधारक से एक रूपये का ब्याज नहीं लिया जायेगा, जिन्होंने मूलधन जमा कर दिया है। अर्थात मृतक खाताधारक के ब्याज को पूर्णतः माफ कर दिया गया है। दूसरी श्रेणी के अन्तर्गत, सामान्य खाताधारक ने यदि मूलधन के बराबर ब्याज जमा कर दिया है, इन्हें केवल मूलधन जमा करना होगा। तीसरी श्रेणी के अन्तर्गत, बैंकिंग भाषा में संदिग्ध ऋण खाता के अन्तर्गत वर्गीकृत खाताधारक को मूलधन के अतिरिक्त जमा करने वाले ब्याज पर 30 प्रतिशत ब्याज की छूट होगी।
पिछले 25 वर्षों में सहकारिता बैंक का एन.पी.ए. गैर निस्पादित सम्पत्ति 391 करोड़ 50 लाख था। पिछले एक माह में अभियान के अन्तर्गत, 31 मार्च, 2019 तक 21 करोड़ रूपये का ऋण वसूला गया। अब तक 18465 खाते एन.पी.ए., गैर निस्पादित सम्पत्ति स्वीकार किया गया है।
सरकार ने अपनी तरफ से एक शानदार पहल की है. लेकिन अब बारी ऋणदाताओं की है, जिन्हें अपनी और सहकारी बैंक की मुसीबतों को ख़त्म कर प्रदेश के लोगों के लिए रोजगार के मौक़ा पैदा करने के लिए बैंक के ऋण घाटे को पाटने में सहयोगी बनना चाहिए. इससे इस पर्वतीय राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी .