एक डीएम जो बच्चों और लोगों में वैज्ञानिक चेतना को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं, ये देश और समाज के लिए बेहद जरूरी है
मीडिया लाइव, देहरादून: विज्ञान का महत्व आम जीवन में कितना और किस हद तक है, इस पर सामान्य तौर पर हम ध्यान नहीं देते. उसे बस यूँही ले लेते हैं. एक बार भी नहीं सोचते कि ! इंसानी जिंदगी को विज्ञान ने असंख्य सौगातें दी हैं. जिसका मोल कभी नहीं चुकाया जा सकता. इसके पीछे कुछ लोगों का विज्ञान को समझने और उसके रहस्यों से पर्दा हटा कर मानव जीवन को सरल बनाने, शोध और जिज्ञासा को शांत करने के जतन के लिए किए गए अथक प्रयासों का नतीजा रहे हैं. यही कोशिशें हमें बहुत तेज गति से आज यहां तक लेकर आयी है. विज्ञान अपने किसी निष्कर्ष को अंतिम नहीं मानता और न किसी चुनौती को अस्वीकार करता है, बल्कि वह इसके मूल पर ही खड़ा है, उसके निरन्तर आगे बढ़ने का आधार ही चुनातियाँ, मानवीय जिज्ञासाएं यानी सवाल हैं. जिनका तार्किक हल ढूंढने में वह अपनी कभी न खत्म होने वाली यात्रा में चलता रहता है. लेकिन वह और तेज गति से आगे बढ़ता अगर आमजन-मानस इसमें औसत रुचि भी लेता, तो वह विज्ञान के लिए सहयोगी साबित हो सकता था. अपने देश ने बहुत तरक्की और विकास किया, लेकिन फिर भी दुनिया की तुलना में हम बहुत पीछे हैं. यहां समाज में वैज्ञानिक चेतना का घोर अभाव है. बावजूद इसके कि हमारे चारों तरफ विज्ञान का जाल विछा है, लेकिन हम उस पर गौर नहीं करना चाहते. जिस समाज में जिज्ञासा नहीं होती, उसकी प्रगति थम जाती है. इसके लिए आज भी बहुत जागरूकता की जरूरत है. बल्कि कहें कि ज्यादा जरूरत है. जागरूकता शिक्षा के परंपरागत तरीकों के ही सहारे नहीं लाई जा सकती. इसके लिए विभिन्न आधुनिक तरीकों को अपनाया जाना चाहिए. जिसमें शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों से लेकर आम लोगों में भी साइंस के प्रति दिलचस्पी जगानी होगी. तभी जाकर समाज में शिक्षा का सही प्रसार हो पाएगा. इसमें कई तरह की मुसीबतें भी सामने आएंगी, लेकिन इसका हल भी वैज्ञानिक ढंग से ही निकालना होगा. इसके लिए विशेष प्रयास करने होंगे, विज्ञान के प्रति लोगो और बच्चों में उचित चेतना का विकास करना होगा.
इस बात को ध्यान में रख कर कुछ लोग अच्छी पहल कर रहे हैं. ऐसी ही एक कोशिश चमोली की डीएम ने की है. उनका यह कदम बेहद सराहनीय और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाला लगता है. उनकी मूल धारणा को अगर सही मुकाम मिला, तो यह कोशिश मील का पत्थर साबित हो सकती है. क्योंकि यह अभी महज एक शुरूआत है, जिसे हौले-हौले बहुत आगे तक ले जाया जा सकता है इसका क्षेत्र असीमित है. जितना चाहे विस्तार दे सकते है.क्या है जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया की ये बेहद खास वैज्ञानिक सोच वाली पहल आइए जानते हैं.
देश के इस सीमांत जनपद के स्कूली बच्चों एवं विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए कोठियालसैंण, गोपेश्वर में साइंस पार्क बनाया गया है. सांइस पार्क में वैज्ञानिक उपकरणों की प्रर्दशनी लगाई गई है. इससे बच्चों को किताब के साथ ही प्रेक्टिकल करके सिखाने का प्रयास किया जाएगा. इससे स्कूली बच्चों को बहुत ही आसानी से सांइस और गणित के सिद्वांतो को समझने में मदद मिलेगी। सांइस के बेसिक पहलुओं को सबको सीखना और समझना चाहिए। यहां जिला प्रशासन ने नवाचारी विकास कार्यो के लिए ये जो कदम उठाया है यह बेहद सराहनीय है.
चमोली की डीएम स्वाति का कहना है कि बच्चों की जरूरत को देखते हुए जिला योजना के तहत सांइस पार्क स्थापित कराया गया ताकि बच्चों को सांइस के सिद्वांतों को समझने में आसानी हो सके। यहाँ पर स्कूली बच्चों के लिए मुफ्त शैक्षिक भ्रमण की व्यवस्था की गई है।

गौरतलब है कि ! डीएम स्वाति एस भदौरिया जनपद में लगातार नये-नये प्रयास कर रही हैं. इसी के साथ उन्होंने यहां अम्बेडकर भवन में स्थापित सांइस पार्क में बिरला साइंस म्यूजियम हैदराबाद से विज्ञान के सिद्वांतों को समझाने के लिए साइंस उपकरणों की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसमें ग्रेविटी क्रिएशन, ऊर्जा, लाईट, इलूजन, रिफलेक्शन, पेंडुलम, न्यूटन लाॅ-एक्शन व रिऐक्शन, आर्कमिडीज प्रिंसिपल, पाइथागोरस, ब्लैक होल, स्ट्रेंज मिरर, जाइलोफोन आदि सांइस के सिद्वातों को व्यवहारिक तौर पर समझाने वाले उपकरण शामिल है। स्कूल खुलने पर विद्यार्थियों को साइंस पार्क का शैक्षिक भ्रमण कराया जाएगा। यहाॅ पर बच्चे सांइस के सिद्वातों को समझने के साथ साथ खुद बैठकर इनोवेशन भी कर सकेंगे। अपने आप प्रयोग करके प्रैक्टिकल ढंग से सिद्वांतों को समझने पर विद्यार्थियों की लाॅजिकल थिकिंग भी विकसित होगी।

इसके अलावा यहां दुनिया के जाने माने महान वैज्ञानिकों के पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। जिसमें वैज्ञानिकों की खोज के बारे में जानकारी दी गई है। जिलाधिकारी की यह खास पहल निश्चित रूप से आने वाले समय में बच्चों को वैज्ञानिक सिद्वांत समझने में और सांइस एवं गणित विषयों में उनकी रूचि बढाने में वरदान साबित होगी। इस आकर्षक सांइस पार्क के संचालन की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग को सौंपी गई है। इसमें अब करना इतना है कि इस पार्क में विद्यार्थियों के माता-पिता और आम लोगों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए. ताकि आम लोगो के अंदर भी वैज्ञानिक चेताना का विकास हो और उनके सामान्य जीवन में साइंस का जो योगदान है उसे समझने में उनकी जिज्ञासा बढ़े ताकि वे आगे इस बात को अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सके.
यदि आप मानव कल्याण के लिए तरक्की पसंद हैं. तो यह महज एक समाचार नहीं है एक सोच है, जिसका प्रचार-प्रसार करना हम सबकी जिम्मेदारी है. जो लगातार जारी रहने चाहिए.
