कोरोना संकट : पंडितों को भी मिले मदद
मीडियालाइव : कोरोना संकट के साथ ही बेरोजगारी का संकट भी पैदा हो गया है। लॉकडाउन के कारण कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। जिनमें खास तौर पर कामगार, मजदूर वर्ग और छोटे व्यवसायी शामिल हैं। वहीं पूजा पाठ और पंडिताई करने वालों के सामने भी रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। शादी ब्याह व अन्य धार्मिक कार्यक्रम लगभग बंद हैं। ऐसे में पंडिताई जिन लोगों की आमदनी का एकमात्र जरिया थी वे इन दिनों पूरी तरह बेरोजगार हैं। हालांकि कुछ लोग इसके लिए ऑनलाइन माध्यमों का सहारा भी ले रहे हैं। लेकिन आम व्यवहार में सबके लिए ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता व सीए राजेश्वर पैन्यूली ने मुख्यमंत्री से पंडितों को अनुदान देने की मांग की है। मुख्यमंत्री को भेजे अनुरोध पत्र में उन्होंने उत्तराखण्ड के उन सभी ब्राह्मणों को ज़िनका पंडिताई मुख्य आमदनी का स्त्रोत है, उनके के लिए Covid-19 से हो रही छतिपूर्ती के लिये अनुदान की माँग की गयी है | हर परिवार को सम्मानजनक लगभग 20-25 हजार रूपये की नगद राशी से सहायता करनी चाहिए
पत्र में कहा गया है कि उत्तराखण्ड में लगभग सात लाख ब्राह्मणों की आमदनी का मुख्य ज़रिया पन्डिताई है। और उत्तराखण्ड के ब्राह्मणों के जजमान पूरे देश या कहिये कि विदेशों तक मे हैं। जिनका अपना केवल सामाजिक आर्थिक ही नहीं वरन राजनीतिक महत्व भी है|
लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आर्थिक संकट से यह वर्ग भी बुरी तरह प्रभावित है और अपनी दैनिक आवश्यकता की समस्याओ से जूझ रहे हैं| यह सर्वविदित है, की इनमें से अधिकांश पंडितजन सर्दी के मौसम मे अलग अलग राज्यों, शहरों मे अपने जजमानों के पास पूजा पाठ धार्मिक कार्यों इत्यादि के लिये जाते हैं और जजमान से उन्हें दक्षिणा नगद के साथ वस्तुओं के रूप मे भी प्राप्त होती है | अप्रैल – मई में शादियों के अलावा भी बहुत से त्यौहार और धार्मिक पूजा इत्यादि के मंगलदिन होते हैं | गर्मी के यात्रा सीजन मे ये पहाड़ों में अपने गावं या पहाड़ के मन्दिरों में वापस आ जाते हैं |
कोरोना वायरस संक्रमण से इनके ऊपर दोहरी मार पड गयी। एक तो शादियां, पूजा आदि लगभग बन्द हो गये और साथ ही दूसरी तरफ मंदिर परिसर भी बंद हो गये हैं। उत्तराखण्ड के ब्राह्मणों की मुख्य आय का स्रोत की पूरा आयचक्र ही खतम हो गया है। अधिकतर के परिवारों की बहुत दयनीय स्थिती हो गयी है !