हरीश रावत की किताब पर विवाद !
मीडिया लाइव , देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की लिखी उत्तराखंडियत मेरा जीवन लक्ष्य किताब का जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राज राजेश्वराश्रम जी महाराज ने विमोचन किया……पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस किताब के जरिए अपने राजनीतिक कैरियर से जुड़े अनुभव और कांग्रेस की विचारधारा के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य के गठन को दर्शाया है विमोचन से पहले ही इस पुस्तक से कई विवाद भी जुड़ गए .
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत नाम की एक पुस्तक लिखी है जिसका विमोचन जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राज राजेश्वराश्रम जी महाराज ने किया। अपनी पुस्तक के विमोचन के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री ने इस पुस्तक के पब्लिशर्स और पुस्तक को जनता के बीच लाने तक सात रही टीम का आभार व्यक्त किया है साथ ही उन्होंने अपनी पुस्तक के कुछ पन्नों पर आलोचना करने वाले लोगों को भी धन्यवाद किया है। किसी भी किताब को लॉन्च करने से पहले विवाद भी जरूरी होता है ऐसे में शायद यही स्टंट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी अपनाया है दरअसल विमोचन से पहले ही उनकी लिखी किताब में स्वर्गीय गोविंद वल्लभ पटेल और स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी पर उत्तराखंड का पक्षधर ना होने का आरोप लगाया गया है इस किताब की पेज संख्या 351 पर हरीश रावत ने लिखा है कि स्वर्गीय तिवारी जी ने स्वर्गीय गोविंद बल्लभ पंत जी का नाम लेकर कहा की उत्तर प्रदेश का विभाजन मेरी लाश पर ही होगा और सारा माहौल बदल गया…..पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बात को कहा भी है कि स्वर्गीय गोविंद बल्लभ पंत ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को उत्तर प्रदेश विभाजन को लेकर कहा था कि उनका शरीर उत्तर प्रदेश की तरह है जिसका विभाजन नहीं होगा जबकि नारायण दत्त तिवारी ने उत्तराखंड को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की वकालत की थी। हालांकि उन्होंने खुद भी यह माना है कि वह खुद अलग राज्य के पक्ष में नहीं थे लेकिन जन भावना को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के पक्ष में आए थे।
वही भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की लिखी पुस्तक पर तंज कसा है कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा विधायक विनोद चमोली ने हरीश रावत और उनकी किताब पर कहा है कि हरीश रावत एक सच्चे व्यक्ति है जो कभी भी झूठ नहीं बोलते उन्होंने कहा कि इससे पहले भी एक मीटिंग में हरीश रावत यह कबूल कर चुके हैं कि उन्होंने केवल पार्टी बचाने के लिए उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का साथ दिया जबकि पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने एक रैली के दौरान ही कह दिया था कि उत्तर प्रदेश का विभाजन मेरी लाश पर से होकर गुजरेगा जिससे यह साफ पता चलता है कि कांग्रेस कभी उत्तराखंड की हितैषी नहीं रही है। हालांकि उन्हीं की सरकार के कैबिनेट मंत्री ने स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के 5 साल के कार्यकाल में प्रदेश में जो भी काम हुआ है उसके लिए उत्तराखंड हमेशा उनका ऋणी रहेगा जबकि हरीश रावत का जनता कितना सम्मान करती है उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह 2 बार विधानसभा चुनावों में दो दो विधानसभा सीटों से चुनाव हार गए हैं जो साफ जाहिर करता है कि उत्तराखंड की जनता उनका कितना सम्मान करती है।