सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे चित्र सिंह कंडारी पंचतत्व में विलीन
मीडिया लाइव, बीरोंखाल: बीरोंखाल क्षेत्र के जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता और कवि चित्र सिंह कंडारी का 83 साल की उम्र में निधन हो गया। वे बीते कुछ समय से बीमारी से जूझ रहे थे। कंडारी का सामाजिक सरोकारों से गहरा नाता रहा, वे विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे।
चित्र सिंह कंडारी का जन्म 2 फरवरी 1941 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक में सावली पट्टी के नौगांव में हुआ। हाई स्कूल तक पढ़ाई करने के बाद वे सीआरपीएफ में भर्ती हो गए और वहीं से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद कंडारी परिवार के साथ अपने गांव में ही रहे। इसके बाद वे सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़ गए। वे सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ के आजीवन संरक्षक थे। इसके अलावा जिलानिर्माण समिति के सक्रिय सदस्य थे और तहसील निर्माण में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
इसके अलावा चित्र सिंह उत्तराखंड की सांस्कृतिक और लोक भाषाओं के लिए सक्रिय संस्था धाद से जुड़े रहे, इस दौरान उन्होंने पहाड़ी जन जीवन से जुड़े हुए विषयों पर कविताएं भी लिखी। कंडारी ने गढ़वाली भाषा में लगभग पंद्रह कविताएँ लिखी हैं जिनमें न्यूतो, बिसौण्या, इनु किलाई, चौंफुला उनकी प्रमुख कविताएँ हैं। इसके अलावा उन्होंने समाज में पैदा हो रही विकृतियों पर सवाल उठाए हैं। आज कंडारी अपने भरे पूरे परिवार को छोड़ कर पंच तत्व में विलीन हो गए।
मंगलवार को पूर्वी नयार नदी में पैतृक घाट पर उनके पुत्र दिगराज ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। इसके अलावा सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और शोक व्यक्त किया।