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सीएम की मृत्यु की खबर पोस्ट करने वाले के विरुद्ध होगा मुकदमा

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मीडिया लाइव, देहरादून: सोशल मीडिया पर कुछ भी ऊल-जलूल लिखना और पोस्ट करना कुछ लोगों को महंगा पड़ने वाला है. कल से कई बार सोशल मीडिया पर उत्तराखण्ड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की मृत्यु की खबर पोस्ट की जा रही थी. जिस पर कुछ लोग चटकारे ले रहे थे, तो कुछ उन्हें आगाह करते दिखे,. ऐसे लोगों को अनफ़्रेंड और ब्लॉक करने का सिलसिला भी चला. और संबंधित सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म के रिपोर्ट ऑप्शन में जाकर रिपोर्ट भी किया गया.

लेकिन अब वह समाचार भी आ गया है, जो ऐसे लोगों के लिए मुसीबत खड़ी करने वाला है. उत्तराखण्ड पलिस के वरिष्ठ अधिकारी डीजीपी कानून व्यवस्था, आशोक कुमार ने  ऐसे लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिए हैं. समझ लीजिए की अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब क्या और कहां तक कानून संगत है, और कहां जा कर वह अपराध बन जाता है. तो ऐसे लोगों से और उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स से  आपको सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की आदत डालनी पड़ेगी. सोशल मीडिया आपको बहुत सी आजादी देता है अभिव्यक्ति की. पर इसका भी एक दायरा है, मैनर्स है. जिसका सबको खयाल रखना बखूबी आना चहिए, क्योंकि आप एक स्वस्थ चित्त-मन्न वाले समाज में रहते हैं.

निश्चित तौर पर किसी के भी सरकार और सीएम के कामकाज के तौर तरीकों से मतभेद हो सकते हैं. ये भी हो सकता है कि आप सरकारी तंत्र से कहीं पर बेजा नाराज हों, उसकी वाजिब वजहें भी हो सकती हैं. लेकिन उसके लिए बहुत से अधिकार और कर्तव्य आपको कानूनी तरीके से हासिल हैं. आप उसके दायरे में रह कर अपनी नाराजगी को जाहिर कर सकते हैं. लेकिन किसी व्यक्ति की मौत की खबर सोशल मीडिया पर प्रसारित करना, चाहे वह आम हो या खास विशुद्ध आपराधिक कृत्य की क्षेणी में आता है. जिसके तहत कानून सम्मत कार्रवाही का प्राविधान है. अब जब राज्य के मुख्यमंत्री की मौत की अफवाह फैलाओगे, तो उसके परिणाम तो सामने आएंगे ही.

ऐसा देखने में आया है कि ऐसे ही कई सन्देश सोशल मीडिया पर लोग अपने सियासी विरोधियों को लेकर भी प्रसारित करते हैं. कई रिसर्च में आ चुका है कि सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली 80 फीसदी सूचनाएं फेक हैं और सामान्य लोग इन पर यकीन कर लेते हैं. साथ ही लगातार ऐसे संदेशों को शेयर करते हैं. जबकि उन्हें उसके सही और गलत होने का कोई भान नहीं होता. खास कर सियासी विचार धारा से जुड़े सन्देश ज्यादा तर फर्जी, फेक न्यूज़ के तौर पर  इंटरनेट की दुनिया से संचालित होने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहुत आसानी से देखे जा सकते हैं. इसलिए बिना पड़ताल किये किसी भी अफवाह और फेक न्यूज, फेक मीम्स, ऑडियो, वीडियो पर आंख मूंदकर भरोसा न करें और उसे शेयर करने से बचें. खतरनाक तब हो जाता है, जब कई नाम चीन लोग अपनी राजनीतिक  महत्वकांक्षा के लिये आधारहीन बातों को सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म पर साझा करते हैं या जारी करते हैं. ये ज्यादा खतरनाक स्थिति है. इस पर भी लगाम लगाने की जरूरत है.