क्या आप भी हैं दाँतों के रोग से परेशान ? ऐसे हो सकता है निदान, मुंह का कैंसर और वक्त रहते इलाज सम्भव है ?
मीडिया लाइव: दांतों के रोग की समस्या से हर कोई परेशान रहता है. यही छोटी-समस्या कब जानलेवा बन जाती है, इसका पता तब चलता है, जब वह इलाज के बूते से बाहर हो जाती है और तब होती है, महज कभी सफल न होने वाली कोशिशें. यदि इन स्थितियों से बचना है, तो फिर आपको इसके लिए सजग रहना होगा. दांतो की सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे बच्चों में पाई जाती है और यही बचपन की लापरवाहियां बाद में दांतों की सेहत की दुश्मन बनकर सामने आती हैं. बेहद जरूरी है कि छोटी उम्र से ही दांतों की सही देखभाल की जाए व इसमें योग्य चिकित्सक की मदद ली जाए, तो इन समस्याओं को शुरुआती दौर में ही खत्म किया जा सकता है.
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल :
आज तो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी दन्त चिकित्सा के क्षेत्र में यूज हो रही है जो बाकी की बड़ी बीमारियों में होती है. इसके रिजल्ट भी उत्साहजनक तरीके से मिल रहे हैं. लेकिन जागरूकता और चलन में कम होने के कारण लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है.
दूरबीन का उपयोग और सुरक्षित सर्जरी:
आज डेंटल सर्जरी में ऑपरेशन के लिए दूरबीन तकनीक की मदद ली जाने लगी है. जिससे दांतो और मुंह की गंभीर समस्याओं को बड़ी आसानी से वक्त पर पहचाना जा सकता है.
मुँह का कैंसर पकड़ में आ जाता है आसानी से :
दूरबीन की मदद से मुँह का कैंसर बहुत जल्दी और पहली स्टेज में ही पकड़ में आ जाता है. यह जानलेवा रोग होंठ, जीभ व मसूड़ों में से कहीं भी हो सकता है. मसूड़ों में होने की संभावनाओं का पता दन्त चिकित्सा के जरिये ही लग सकता है. लेकिन इसमें भी यह आसानी से नहीं फहचाना जा सकता है. पर अब जब इस क्षेत्र में दूरबीन सर्जरी का इस्तेमाल होने लगा है तो इसे बड़ी आसानी से आइडेंटीफाय किया जा सकता है. वह भी पहले स्टेज में ही. इससे से वक्त रहते इसका इलाज करना सम्भव हो जाता है. पर दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि लोग दाँतों के मामले में बहुत लापरवाह होते हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?:
इस बारे में डेंटिस्ट्री सेक्टर में आधुनिक तकनीक का लगातार इस्तेमाल कर रहे डॉक्टर नितेश काम्बोज का कहना है कि ! लोग ज्यादातर चिकित्सक के पास तब आते हैं, जब उनकी समस्या 80 फीसदी पर पहुंच जाती है. वे कहते हैं कि दूरबीन की तकनीक से कई बड़े और गम्भीर मामलों को बहुत ही आसानी से पहचानने और दूर करने में मदद मिलती है. इसलिए इसका उपयोग अब दन्त चिक्तिसा में भी किया जाने लगा है और यह बहुत मददगार साबित भी हो रही है. इससे उन सारी प्रॉब्लम्स को बहुत आसानी से शार्ट आउट किया जा सकता है जो हम सर्जरी के वक्त नंगी आंखों से नहीं कर सकते। क्योंकि नंगी आंखों से देखने की एक लिमिट है. लेकिन दूरबीन तकनीक से दांतों की जड़ और मसूडों के अंदर होने वाले संक्रमण और उसके खतरे व उसकी भयावहता को समझा जा सकता है. साथ ही लेटेस्ट जर्मन दूरबीन की मदद से महीन से महीन यानी माइक्रो लेबल की समस्या भी कई गुना बड़ी दिखाई देती है.
लाइव स्ट्रीमिंग: यानी पूरा इलाज पारदर्शी तरीके से :
इसके अलावा इसका लाइव स्ट्रीमिंग मरीज या उसके तीमारदार को भी स्क्रीन पर दिखाया जा सकता है. ताकि वह भी पारदर्शी तरीके से मुंह व दांत की प्रॉब्लम को समझे और उसके इलाज के लिए तैयार हो सके. इससे मुँह के कैंसर जैसे घातक और जानलेवा रोग का पता उसके शुरुआती चरण में आसानी चल जाता है. वहीं दूरबीन की सहायता से जब सर्जरी की जाती है, तो उससे आस-पास के दांतों और मुंह के अन्य सेंसटिव हिस्सों को चोट नहीं पहुंचती. साथ ही जब दांत या मसूड़े की सर्जरी वाले घाव को लेजर की मदद से भरा जाता है, तो कई बार घाव बहुत गहरा होता है, ऐसे में दूरबीन और लेजर के सहयोग से उसे कम समय में भरने में मदद ली जाती है. इससे टांके लगाने में आसानी होती है और डर की संभावना न के बराबर रह जाती है. इससे होता यह है कि मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और अपने दैनिक जीवन के काम काज करने लगता है. इसे बड़ी से बड़ी स्क्रीन पर डिस्प्ले किया जा सकता है. नंगी आंखों से ऑपरेशन करने में कई तरह के रिश्क होते हैं. कई बार दांत के टुकड़े अंदर ही छूट जाते हैं. क्योंकि वहां पर मसूड़े की हड्डी और दांत का रंग एक जैसा होता है, इसलिए सामान्य नजर में उसे पहचानने में दिक्कत होती है। लेकिन दूरबीन इस काम को हजार गुना आसान बना लेती है. डॉक्टर काम्बोज बताते है कि ! दाँतों के रोग ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों में देखने को मिलते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में मुंह के कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं. यह सब बुरी आदतों के चलते होता है। मसलन गुटका, तम्बाक, धूम्रपान और शराब आदि से भी मुंह का कैसंर हो सकता है. वहीं छोटे बच्चों में अक्सर दूध के दांतों को लेकर लोग ध्यान नहीं देते. इसी कारण बाद में यही दाँत यदि खराब हो जाते हैं, तो परमानेंट आने वाले दांतो को संक्रमित करते हैं और यह समस्या बढ़ती चली जाती है. कई बार यह समस्या मसूड़ों में होने वाले कैंसर तक पहुंच जाती है. यदि इसे वक्त रहते न पहचाना गया, तो यह जानलेवा साबित हो जाती है. इसलिए जागरूकता के लिहाज से देखा जाए, तो दाँतों की समस्या को लेकर लापरवाही कतई न बरतें, यदि समय से जानलेवा रोग का पता चल जाता है, तो उसे सही तरह से डायग्नोस किया जा सकता है. दाँतों में होता ये है कि यह एक के बाद दूसरे को संक्रमित कर नुकसान पहुंचाता है.

क्या कहती हैं शोध रिपोर्ट्स ?, क्या बरतें सावधानी :
शोध रिपोर्ट्स का अध्ययन करने से पता चलता है कि भारत में हर साल लगभग 10 हजार के करीब लोग मुँह के कैसंर से अपनी जान गंवाते हैं. यहां हर बरस लगभग 11 लाख नये मुंह के कैंसर रोगी सामने आते हैं. जरूरत इस बात की है कि ! यहां लोगों को समय रहते बीमारी का पता लग जाए, तो वह इसका इलाज करा सकते हैं. इसलिए जब भी दांतो से सम्बन्धी कोई परेशानी हो, तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं ,साल भर में दो बार दांतो का चेकअप जरूर कराएं. दाँतों की सेहत का ध्यान बाकी बीमारियों की तरह ही जरूरी है, क्योंकि यह बहुत आसान भी है. आप रोजाना दो बार ब्रश कीजिए. कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करने की आदत डालें. ब्रश करने के सही तरीके के बारे में डॉक्टर से जरूर परामर्श करें. क्योंकि सही जानकारी न होने के कारण लोग मसूड़ों को नुकसान पहुंचा देते हैं. जिसका उन्हें पता नहीं चलता. कुल मिला कर अब तो तकनीक की मदद से दाँतों में होने वाले विभिन्न रोगों को बहुत बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है और गंभीर रोग होने से बचाया जा सकता है।
फीचर इमेज में डॉक्टर दूरबीन की मदद से दांतो का इलाज कर रहे हैं. आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें ईमेल से जरूर बताएं. यदि आप दाँतों के रोग के सम्बंध में कोई सवाल पूछना चाहते हैं. तो हमें लिख भेजिए. : medialivemail@gmail.com