रोजी-रोटी कमाने निकले थे, रोटी को ही लौटे थे, रोटी रह गई, जान चली गई
ब्यूरो रिपोर्ट: आय दिन हादसों में लोगों की जाने चली जाती हैं. लेकिन जब रोटी कमाने निकलें हों, रोटी न मिले और रोटी के लिए वापस लौटना पड़ा हो. आखिर में फिर जब खाने-कमाने वाला ही न बचे, और वही रोटी आस-पास बिखरी हो, और बिखरी हों उन मजदूरों की लाशें. जो इस रोटी को कमाने कहां नहीं जाता कितनी मेहनत नही करता. सोचो ऐसा मंजर कितना दर्दनाक होगा. इस ये गरीब मजलूम. इसे मजदूर कहते है सब. ये तो भीख मांग कर भी नहीं खा सकता. यही उसकी खुद्दारी कभी जान की दुश्मन बन बैठती है.
ऐसा ही हुआ मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र रोजी-रोटी जुटाने के लिए पहुंचे मजदूरों के साथ. थके हारे घर की रेल की पटरी की पैदल राह पकड़ ली. जब थक कर चूर हो गए तो, गहरी नींद की आगोश में रेल की पटरियों को ही बिछोना बना दिया. सोचा होगा थोड़ा झपकी ले लेते हैं. पर हमेशा के लिए गहरी नींद सो जाएंगे ऐसा नहीं सोचा होगा. जब रात खुली तो बस लाशें ही लाशें दिख रही थी. आस-पास बिखरा था कुछ तामझाम वही पापी पेट की आग बुझाने वाली रोटियां और बाकी जिंदगी और मौत के निशान.
खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई. ये सभी पैदल-पैदल ट्रेन पकड़ने रेलवे स्टेशन जा रहे थे। स्टेशन तक पहुंचने के लिए इन्होंने पटरी का रास्ता चुना और रात में वहीं सो गए, सुबह एक मालगाड़ी से कटकर इनकी मौत हो गई।
सभी मध्यप्रदेश के लिए निकले थे, औरंगाबाद से वहां के लिए ट्रेन चल रही थी ये लोग औरंगाबाद रेलवे स्टेशन के लिए जालना से पैदल निकले थे, सफर करीब 60 किलोमीटर रास्ते में थककर पटरी पर ही सो गए, सोचा होगा लॉकडाउन में वहां से ट्रेन नहीं निकलेगी वक़्त नहीं है?
जिस रोटी की तलाश में घर से निकले थे, वह उनके बेजान शरीर के आस-पास बिखरी पड़ी हैं।
16 मजदूरों के कटने का मंजर दिल को चीर रहा है। खामोश पटरियों पर मौत का सन्नाटा पसरा है। लॉकडाउन के चलते ये सभी मजदूर अपने घर जाने के लिए 40 किलोमीटर चलकर आए थे। थकान ज्यादा लगी, तो पटरी पर सो गए। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका सफर यही खत्म हो जाएगा।
पटरी पर सोए और उठे ही नहीं 18 मजदूर महाराष्ट्र की एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन की वजह से काम बंद था। इन्होंने सोचा होगा ऐसे में घर ही चले जाएं। लॉकडाउन में यातायात के साधन बंद हैं और इन्हें औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचना था।