राहुल गांधी की चेतावनी का असर : अब चीन की चंगुल में नहीं फंसेंगी घरेलू कंपनियां
भारत से चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान की थल सीमाएं लगती हैं। इसके लिए बाकायदा केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गैर भारतीय इकाई सरकार की विदेश नीति के तहत उन सभी सेक्टर में निवेश कर सकती है, जिसे प्रतिबंधित सेक्टर घोषित नहीं किया गया है। लेकिन किसी ऐसे देश की इकाई या नागरिक जिसकी जमीनी सीमा भारत से लगती हो, वह सरकारी रूट के जरिये ही निवेश कर सकेगा।
विदेशी निवेश करने के दो तरीके होते हैं, एक स्वचालित रूट और दूसरा मंजूरी प्रक्रिया के तहत। स्वचालित रूट के तहत सरकार की तरफ से तय नियम होते हैं, जिनके आधार पर निवेश किया जाता है। इसके लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती है।
वैसे सरकार का यह नियम एचडीएफसी में किए गए चीन के बैंक के निवेश के फैसले में कोई बदलाव नहीं करेगा। इसकी दो वजहें हैं। एक तो इस बैंक की हिस्सेदारी अभी महज एक फीसद के करीब ही है और दूसरा यह शेयर बाजार के जरिये किया गया है। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नया नियम 10 फीसद या इससे ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने के मामले में लागू होगा। रक्षा, अंतरिक्ष, बंदरगाह समेत 17 ऐसे सेक्टर हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से संवेदनशील घोषित किया गया है और इनमें एक निश्चित सीमा से ज्यादा निवेश के लिए सरकार की मंजूरी पहले से ही अनिवार्य है।
इस पर राहुल गाँधी ने क्या कहा : एचडीएफसी बैंक में चीन के बैंक की हिस्सेदारी बढ़ने के मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया था। यही वजह है कि अब सरकार की तरफ से नोटिस जारी होने के तुरंत बाद राहुल गांधी ने सरकार का धन्यवाद दिया, जिसने उनकी चेतावनी को संज्ञान में लेते हुए उचित कदम उठाया। राहुल ने ट्वीट किया, ‘मेरी चेतावनी को संज्ञान में लेने और कुछ विशेष मामलों में सरकारी मंजूरी अनिवार्य करने के लिए एफडीआइ नियमों में बदलाव करने के लिए सरकार का धन्यवाद.
आपको बता दें कि दुनिया के लगभग सभी बड़े देश पहले ही चीन के निवेश पर अपने यहां रोक लगा चुके हैं.