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कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट, पर क्या आपकी जेब को मिलेगी राहत

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कच्चे तेल के दामों में आई भारी गिरावट और कमज़ोर आर्थिक डाटा के कारन सोमवार को एशिया में बाज़ार खुलते ही धड़ाम हो गए. दुनिया भर के देशों पर इसका असर देखने को मिल रहा है. आज जापान का निक्केई सूचकांक पाँच प्रतिशत तक गिर गया जबकि ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 7.3 प्रतिशत गिरा. ये साल 2008 के बाद से इन बाज़ारों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी.

अब बात करते हैं भारतीय सूचकांक सेंसेक्स भी सोमवार सुबह शुरुआती घंटों में 1600 अंक तक गिर गया. जबकि निफ्टी में 453 अंकों की गिरावट दिखी. लेकिन दोपहर एक बजे तक भारतीय बाज़ार में 2000 से अधिक अंकों की गिरावट देखी गई और निफ़्टी में 547 अंकों की गिरावट देखी गई. हालाँकि इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका असर आम उपभोक्ता को मिल सकता है. लेकिन भारतीय अर्थ व्यवस्था की पतली हालत को देख कर नहीं लगता कि सरकार आम लोगों को किसी तरह कि राहत देने के मूड में होगी.

तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर प्रतिद्वंदिता शुरू होने के डर ने बाज़ारों को हिला दिया है. कोरोना वायरस चीन के निर्यात में ठहराव और जापानी अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने का असर भी एशियाई निवेशकों पर दिख रहा है. कच्चे तेल के दामों में अभी तीस प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई. ये 1991 में हुए खाड़ी युद्ध के बाद से कच्चे तेल के दामों में आई सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है.

चीन से मिले नए कोरोना वायरस के दुनियाभर में फैलने के बाद तेल की मांग में कमी आई है. कोरोना वायरस का सबसे ज़्यादा असर ट्रेवल कंपनियों पर हुआ है. इसका असर सऊदी अरब के बाज़ार पर भी हुआ है.सऊदी की सरकारी तेल कंपनी आरामको के शेयर एक समय अपनी शुरुआती क़ीमत से भी नीचे चले गए थे. कोरोना वायरस के चलते तेल के दामों में गिरावट की वजह से आरामको के शेयर पहले ही 11 प्रतिशत तक गिर गए हैं.
सऊदी अरब और रूस के बीच तेल उत्पादन प्रतिद्ंवदिता शुरू होने का असर कच्चे तेल के दामों पर होना तय है. सऊदी अप्रैल में अपने तेल उत्पादन को एक करोड़ बैरल प्रतिदिन तक ले जाने की घोषणा पहले ही कर चुका है.

फोटो सोशल मीडिया