राज्य में होने वाली भर्ती परीक्षा पर हरीश रावत ने क्या लिखा ?
मीडिया लाइव, देहरादून: प्रदेश आपदा की विभीषिका से जूझ रहा है। कई इलाकों में प्रशासन बिजली, पानी सड़क जैसी मूल भूत सुविधाओं को बहाल करने में जी जान से जुटा हुआ है। ऐसे में उत्तराखंड में आयोजित होने वाली एक भर्ती परीक्षा को लेकर बहुत सारी बातें हो रही हैं। मामला बेहद गंभीर है। भर्ती परीक्षा में भाग लेने वाले बेरोजगार संगठन ने यूके एसएससी और मुख्यमंत्री को मिलकर इस परीक्षा को फिलहाल प्रदेश में स्थितियां सामान्य होने तक रोकने की गुहार लगाई है। ऐसे में इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी है। जिस पर उन्होंने जहां भर्ती परीक्षा को लेकर खुशी जाहिर की वहीं, परीक्षा तिथि और मौसम के उपजे आपदा के हालातों को देखते हुए इस परीक्षा को आगे बढ़ाने का मामला उठाया है। यहां हम हरीश रावत की पोस्ट को ज्यों का त्यों यानी शब्दसः पेश कर रहे हैं।
उत्तराखंड #अधीनस्थसेवाचयन_आयोग कुछ बड़ी भर्तियां कर रहा है, स्वागत है। हजारों हमारे लड़के-लड़कियां इस अवसर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यूं सामान्यतः सितंबर 15 के बाद उत्तराखंड में मानसून की विदाई हो जाती है। लेकिन इस बार मानसून की विदाई अभी तक भी घोषित नहीं हुई है और मानसून ने अपने तीखे खतरनाक तेवर बरकरार रखे हैं।
अभी एकाध दिन पहले नंदनगर घाट क्षेत्र में बड़ी जबरदस्त प्राकृतिक आपदा आई है, दूर दराज के सभी क्षेत्रों में कहीं रास्ते टूटे हैं, कहीं सड़क टूटी हैं, कहीं गधेरों ने खेत काट दिए हैं, कहीं घरों में पानी घुस आया है, कहीं लोग दबकर के मर गए हैं तो यह स्थिति सारे राज्य में व्याप्त है। देहरादून ही बड़ी बुरी तरीके से प्रभावित है, रास्ते खराब पड़े हुए हैं और सच कहूं तो पिछले एक-डेढ़ महीने के अंदर ऐसी आपदाएं आई हैं जिन्होंने मानसिक रूप से भी हमको हिला दिया है, नौजवानों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है, कई जगह बिजली कट गई है कई जगह और भी विपत्तियां आई है तो ऐसी स्थिति के अंदर बच्चे कितना परीक्षा के लिए तैयार हैं ? इसको लेकर निश्चय ही सवाल उठते हैं?
मुझे एक छोटा सा सुझाव, मैं जानता हूं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इन परीक्षाओं के लिए बड़ी तैयारी कर रखी हैं, यह कोई सामान्य प्रबंधन का मामला नहीं है, यह असाधारण प्रबंधन का मामला है। ऐसी स्थिति के अंदर यह कहते हुये संकोच होता है कि कुछ दिन एक हफ्ता, 10 दिन पीछे कर दिया जाए यह कहने में संकोच होता है। लेकिन फिर भी मैं कहना चाहता हूं कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुये इन #परीक्षाओं को हफ्ता, 10 दिन पीछे किया जाए ताकि मानसून के थमने के बाद बच्चे मानसिक रूप से स्थिर होकर के परीक्षा भी दे सकें और उनको यह भरोसा हो सके कि परीक्षा केंद्र तक अपने घर-गांव से सकुशल पहुंच जाएंगे! मैं, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और राज्य सरकार से भी इस संदर्भ में आवश्यक संज्ञान लेने का आग्रह करना चाहूंगा।