खेती- किसानी

ऐसे उठाएं पशु एम्बुलेंस सेवा 1962 का फ़ायदा

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मीडिया लाइव, देहरादून: स्वरोजगार में पशुधन हमेशा से ही पहली पसंद रहा है। महज अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए ही नहीं बल्कि धन अर्जित करने के लिए पशुधन एक जरूरी साधन है। हालांकि उत्तराखंड में बढ़ती पलायन की रफ्तार ने इसमें कमी जरूर ला दी है। लेकिन बावजूद इसके राज्य सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने और पशुपालन को आज भी जरूरी साधन मानते हुए इस दिशा में समय समय पर महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

मानव जीवन को सुरक्षित बनाने और आपात कालीन मौकों पर उत्तराखंड में काफी पहले 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी। इसी तर्ज पर अब राज्य में पशुधन को बचाने और संरक्षित करने के मकसद से 1962 पशु सेवा एंबुलेंस की शुरुआत की गई है।

लेकिन बहुतायत में प्रचार न होने और जागरूकता की कमी के कारण अब भी पशुपालक इस शानदार सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। यही कारण है कि आज भी पशुपालकों को अपने पालतू मवेशियों की जान बचाने के लिए घरेलू नुस्खों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। ऐसे में कई बार पालतू पशुओं की जान भी चली जाती है। लेकिन जहां ग्रामीण इलाकों में राज्य सरकार की इस सेवा की जानकारी पशुपालकों में है, वहां इसका ख़ूब लाभ लिया जा रहा है।

पूछे जाने पर इस सेवा का संचालन कर रही कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी आशीष नेगी का कहना है कि उत्तराखंड में पशुओं के लिए चलाई जा रही एंबुलेंस सेवा- 1962 पर कॉल करने पर डॉक्टरों की टीम अविलंब गोशाला तक पहुंच कर बीमार पशुओं का इलाज कर रही है।

नेगी का मानना है कि पशुपालकों के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है कि अब उन्हें अपने बीमार एवं घायल पशुओं के इलाज के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ रही है। भारत सरकार और उत्तराखंड राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से जिलों में पशुओं के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत अब कोई भी पशुपालक टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करके अपने पशु के लिए घर बैठे चिकित्सा सहायता प्राप्त कर सकता है। कॉल करने पर प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम एंबुलेंस के साथ सीधे पशुपालक के घर पहुंचेगी और मुफ्त में इलाज करेगी।

इस सुविधा के से पशुपालकों को अपने पशुओं को अस्पताल तक लाने की परेशानी नहीं उठानी पड़ रही है। डॉक्टरों की टीम एंबुलेंस के साथ आवश्यक दवाएं और उपकरण लेकर मौके पर ही पहुंचती है और तुरंत उपचार करती है।
कैसे लें सेवा का लाभ..?

किसी भी समय टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करें। अपनी जानकारी दें, और पशु की स्थिति बताएं।कुछ ही देर में एंबुलेंस आपके घर पर पहुंचेगी। यह सेवा न केवल पशुओं के लिए वरदान है बल्कि पशुओं के जीवन की रक्षा में भी अहम भूमिका निभा रही है।

बताया गया है कि पूरे प्रदेश में अभी तक इस 1962 MVU के से 3 लाख से अधिक पशुओं का निशुल्क उपचार किया गया जा चुका है।

पशुपालन विभाग की इस सेवा से प्रदेश में 60 1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट निशुल्क संचालित की जा रही हैं। दावा किया जा रहा है कि यह टीम गांव गांव पहुंचकर पशुपालकों की सेवा में समर्पित कार्य कर रही है। यह मोबाइल यूनिट न केवल बीमार पशुओं का समय पर इलाज कर रही है बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि राज्य और भारत सरकार की इस सेवा से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जरूर मजबूती मिलेगी। इसके लिए राज्य के सभी 95 विकास खंडों में यह पशु एंबुलेंस सेवा संचालित करनी भी जरूरी होगी, ताकि समय रहते बीमार और घायल पशुओं की जिंदगी बचाई जा सके और पशुपालक प्रोत्साहित हो सकें।