जब विभागीय अफसरों ने नहीं उठाया कोई कदम, तो पेय जल सचिव से लगाई गुहार …
मीडिया लाइव, बीरोंखाल,देहरादून : गर्मी शुरुआत से ही कहर बरपा रही है। बढ़ती गर्मी में गांव के लोग पेय जल संकट की मार झेल रहे हैं । सुबह होते ही लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। आलम यह है कि लोग सुबह होते ही अपने घरों से बाल्टी, गैलन, डब्बा, केन आदि लेकर पानी के लिए निकल पड़ते हैं। बीते एक दशक से पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल जिले के आमकुलाऊँ गाँव में हर साल फरबरी से जुलाई तक यही हाल रहते हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ग्रामीण लम्बे वक्त से स्थाई समाधान की मांग करते रहे हैं। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ख़ास काम नहीं हो पाया है। ऐसे में ग्रामीणों ने राजधानी स्थित सचिवालय में प्रदेश के पेयजल सचिव को पत्र लिख कर पेयजल समस्या के समाधान की मांग की है। इसके साथ ही विभागीय सचिव को सुझाव भी दिया है।
सुबह होते ही पानी के लिए जुटने लगती है भीड़ : सुबह होते ही महिला, युवक, युवतियां बच्चे यहां तक कि बुजुर्ग पानी के लिए आमकुलाऊँ के ग्रामीण जद्दोजहद करते नजर आते हैं।
विभागीय सचिव पेयजल अरविन्द सिंह ह्यांकी को लिखे गए पत्र में ग्रामीणों ने बीरोंखाल विकास खण्ड के अन्तर्गत ग्राम आमकुलाऊं में विकट गम्भीर पेयजल संकट को विभाग द्वारा अनदेखी व नजरअंदाज किए जाने के सम्बन्ध में अवगत कराया है। पत्र में बताया कि ग्राम आमकुलाऊं में लगभग एक दशक से माह फरवरी से जुलाई माह तक पांच से छः माह तक पेयजल की समस्या गम्भीर बनी रहती है। इस संबंध में समय समय पर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को लिखित व मौखिक रूप में अवगत कराया जाता रहा है।
इसके अल्वा पत्र में कहा गया है कि बहुउद्देशीय पम्पिंग पेयजल योजना बंगार से आमकुलाऊं गांव को पेयजल उपलब्ध करवाया जाय इस बारे में पिछले बर्ष 2023 में अवर अभियंता उत्तराखण्ड जल संस्थान स्यूंसी ने मुख्य श्रोत धोबीपाट के जंगल में निरीक्षण किया। इस अवधि में पानी उपलब्ध न होने तथा इर्द गिर्द अन्य पानी का श्रोत उपलब्ध न होने की दशा में मात्र बहुउद्देशीय पम्पिंग पेयजल योजना बंगार से पेयजल उपलब्ध होने की पुष्टि की गई।
सचिव को इस बारे में भी जानकारी दी गयी कि बीते साल फरवरी माह तक आनन- फानन में आमकुलाऊं गांव के मुख्य श्रोत के समीप ऊपर कुछ ही दूरी पर एक बीएफजी टैंक बनवाकर मुख्य लाइन से जोड़ दिया गया व कुछ जगहों जीर्ण-शीर्ण पाइपों को बदल कर गांव में एक पन्द्रह हजार लीटर टैंक के साथ फिल्टर टैंक का निर्माण बहुत ही निम्न स्तर का करवाया गया जिसकी सूचना अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता व अवर अभियंता को दी गयी। जिसे इन अफसरों ने स्वीकार किया और मामले में जांच कर टैंकों का पुनर्निर्माण किए जाने को कहा। इसके अलावा अन्य अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी गयी है।
इस तरह अब तक की गयी तमाम शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। फलस्वरूप लाखों की लागत खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों को पेयजल योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है और विभाग द्वारा पिछले माह से एक दिन छोड़कर तीसरे दिन समस्त परिवारों हेतु मात्र डेढ़ से दो हजार लीटर पिकअप गाड़ी से जलापूर्ति की खानापूर्ति की जा रही है। ग्रामीण कृषक परिवारों व उनके पालतू पशुओं हेतु पेयजल किसी भी दृष्टि से यह जलापूर्ति पर्याप्त नहीं है। ऐसे में गांव से लोगों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सरकार से लगाई गुहार :
ग्रामीणों ने आमकुलाऊं गांव की विकट गम्भीर पेयजल समस्या को मध्य नजर रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर पेयजल लाइन सभी खामियों की जांच व निराकरण कर गाँव को बहुउद्देशीय पम्पिंग पेयजल योजना बंगार से जोड़ने की सुझाव और मांग की है।
इस बारे में ग्रामीण आलम सिंह रावत ने बताया कि हर साल गाँव में पेयजल संकट साल की शुरुआत से ही गहराने लगता है। ऐसे में आधा साल लोगों का पेयजल किल्लत से जूझने में ही निकल जाता है। विभाग को ग्रामीण इसके लिए स्थाई समाधान चाहते हैं। इसे लेकर सालों से प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। अब सभी ग्रामीणों ने पेय जल सचिव उत्तराखंड सरकार से गुहार लगाई है।
ऐसे में सवाल उठता है सरकार के उन दावों पर जिसमें बहु प्रचारित जलजीवन मिशन योजना के तहत हर घर नल-हर घर जल से प्रदेश के गावों को आच्छादित किए जाने का ढोल पीटा जा रहा है। लेकिन आमकुलाऊँ गाँव की ये सच्चाई सिर्फ बानगी भर है। इसके अलावा भी प्रदेश के तमाम इलाके गंभीर जल संकट सी गुजर रहे हैं।
अब देखना ये होगा कि राज्य के पेयजल सचिव को लिखी गयी ये चिट्ठी उनकी टेबल तक पहुंचती है या नहीं और इस पर क्या कदम उठाए जाते हैं ?