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बदरी पुरी में शीतकाल में साधना के लिए अनुमति

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मीडिया लाइव, बद्रीनाथ : कपाट बंद होने के बाद शेष शीतकाल के लिए भू बैकुंठ धाम बदरीनाथ धाम में जगत पालन हारी भगवान श्री विष्णु जी की नित्य दैनिक पूजा अर्चना सहित अन्य सभी दायित्व अब मनुष्यों से देवताओं के पास आ गया है, जहां मंदिर के गर्भ गृह भगवान बदरी विशाल लोक जन कल्याण के लिए पद्मासन अवस्था में साधना रत है और माता महा लक्ष्मी उनके सानिध्य में मौजूद है, वहीं आने वाले कुछ दिनों में दर्जन भर साधु संत भी इस बदरी पुरी में श्री नारायण की साधना में लीन हो जायेंगे, इस शीतकाल हेतु भू बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम में करीब 15 साधुओं ने तपस्या करने की अनुमति मांगी है। जिन पर वर्तमान में जिला प्रशासन द्वारा सघन जांच पड़ताल की जा रही है, जिसके बाद ही इन साधकों को बदरी छेत्र में साधना करने की अनुमति होगी,बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद किसी को भी बदरी पुरी में रहने की अनुमति नहीं दी जाती है। धाम में केवल सेना और पुलिस के जवानों की तैनाती रहती है। इसके साथ ही एक दो सालों से मास्टर प्लान निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के अलावा साधु-संतों को धाम में अपनी-अपनी कुटिया में तपस्या करने के लिए प्रशासन की ओर से प्रतिवर्ष अनुमति दी जाती है।
जोशीमठ तहसील प्रशासन के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष अभी तक 15 साधु-संतों ने धाम में शीतकाल की साधन हेतु अनुमति बावत आवेदन किया है।शीतकाल में धाम में रहने के लिए इस बार 15 लोगों की ओर से आवेदन मिले हैं। अभी तक इनके प्रपत्र की पूरी जांच नहीं हुई है, जिला प्रशासन से अनुमति मिलने पर ही इन लोगों को अनुमति दे दी जाएगी। सभी लोगों की जांच चल रही है।
ठंड में भी नहीं डिगती साधकों की आस्था
शीतकाल के दौरान बदरीनाथ धाम में काफी हिमपात होता है। जिससे वहां कड़ाके की ठंड होती है।वहीं,बदरी धाम में चारों ओर शांति ही शांति रहती है। कई साधु-संत साधना के लिए इसलिए यहां रहना पसंद करते हैं। हाड़ कंपा देने वाली ठिठुरन भरी ठंड भी उनकी आस्था को नहीं डिगा पाती। स्थानीय प्रशासन की ओर से साधकों,साधुओं के शीतकाल की तपस्या पर जाने से पहले पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है।
18 नवंबर को बंद हुए थे कपाट : बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में छह माह के लिए 18 नवंबर की शाम 3:33 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए थे। इस साल करीब 18 लाख 28 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए।