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सामान्य ऊंचाई वाले इलाकों में क्यों दिख रहा सफेद बुरांश ?

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मीडिया लाइव, गोपेश्वर: जोशीमठ क्षेत्र में इन दिनों एक बुरांश का पेड़ चर्चा और जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। मध्य हिमालयी क्षेत्रों में आमतौर पर लाल बुरांश खिलता है। बसंत के मौसम में प्रकृति फूलों से सराबोर रहती है। इस मौसम में लाल बुरांश पहाड़ों में अपनी लालिमा बिखेरे हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में में सफ़ेद बुरांश भी खिलता है। लेकिन जोशीमठ जैसे इलाके में सफ़ेद बुरांश का खिलना लोगों की जिज्ञासा बढ़ा रहा है।

सिर्फ पहाड़ों में खिलने वाला लाल बुरांश का फूल सामान्य तौर पर 1500 से 2500 मीटर के मध्य वाली उचाई वाले इलाकों में खिलता है। उससे ऊपर खिलने वाले समान प्रजाति वाले बुरांस के फूलों में सफेदी और गुलाबी पन होता है, जिसे जहरीला माना जाता है। लेकिन सफ़ेद बुरांश का सामान्य ऊंचाई पर खिलना अद्भुत होने के साथ ही शोध का विषय भी है।

यह कुदरत का करिश्मा ही है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाला सफेद बुरांस का फूल जोशीमठ ब्लॉक में समुद्रतल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सेलंग गांव में खिल रखा है। लोग हैरत में हैं कि आखिर यह सफेद बुरांस इतनी कम ऊंचाई पर कैसे खिल रहा, जबकि इस ऊंचाई पर राज्य वृक्ष लाल बुरांस का फूल ही खिलता है। इन दिनों भी इस पेड़ के आसपास का पूरा क्षेत्र लाल बुरांस की लालिमा बिखेर रहा है। विदित हो कि सफेद बुरांस समुद्रतल से 2900 मीटर से 3500 मीटर की ऊंचाई तक खिलता है। लेकिन, सेलंग का यह सफेद बुरांश पिछले कई सालों से जिज्ञासा बढ़ा रहा है।

देश में इतनी कम ऊंचाई पर सफेद बुरांस कहीं भी नहीं खिलता। यह ऊंचाई सिर्फ लाल बुरांस के लिए मुफीद है। यही नहीं, हिमालयी क्षेत्र में खिलने वाले सफेद बुरांश के पेड़ भी इस पेड़ की तुलना में काफी बौने होते हैं। यह पेड़ लगभग 20 मीटर ऊंचा है, जबकि सामान्य पेड़ पांच से छह मीटर ऊंचे होते हैं। सेलंग निवासी कल्पेश्वर भंडारी बताते हैं कि पहाड़ के भूगोल से परिचित हर व्यक्ति इस बुरांस को देखकर आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहता। लिहाजा इस दुर्लभ पेड़ को संरक्षित किए जाने की जरूरत है। वन विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।

वनस्पति विज्ञानियों का कहना है कभी-कभी कुछ कारणों से सफेद बुरांस का बीज निचले स्थानों पर पहुंच जाता है। अलग एन्वायरनमेंटल सेटअप के कारण इसके पेड़ की पहली व दूसरी पीढ़ी में मॉर्फोलॉजिकल बदलाव आ जाता है। यही नहीं, पांचवीं व छठी पीढ़ी में तो आनुवांशिक गुणों के बदलने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में यह नई प्रजाति या सब प्रजाति बन जाती है। सफेद बुरांस का यह पेड़ अभी पहली पीढ़ी का है यानी इसमें सिंगल स्टेम है। लिहाजा यह बदलाव अस्थायी बदलाव माना जाएगा।

यह सफेद बुरांस रोडोडेंड्रॉन कैम्पेनुलेटम प्रजाति का है। स्थानीय भाषा में इस सफेद फूल को लोग चिमुल, रातपा जैसे नामों से जानते हैं।
NDBR के अधिकारियों का कहना हैं कि यह लाल बुरांस की ही प्रजाति है। आनुवांशिक गुणों में बदलाव के चलते यह सफेद बुरांस की प्रजाति में बदल गया होगा। बिष्ट दावा करते हैं कि देश में ऐसा पेड़ कही नहीं है। इसलिए वन विभाग इसको संरक्षित करने का कार्य करेगा।