संतों ने स्वतंत्रता सेनानी शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वरूपा नंद सरस्वती को भारत रत्न देने की मांग की
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 वर्ष की आयु में ब्रह्मलीन हो गए. जिसके बाद से देशभर के साथ हरिद्वार के संत समाज में शोक की लहर है। शंकराचार्य के निधन होने पर संत समाज ने इसे सनातन धर्म की बड़ी क्षति बताया है। वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने भी शोक जताया है।
हरिद्वार: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद सोमवार को हरिद्वार में साधु संतों ने श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया। इस दौरान हरिद्वार के साधु संतों ने स्वतंत्रता सेनानी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भारत सरकार से भारत रत्न देने की मांग की। इसके अलावा उनके नाम पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम बदलने के साथ ही देश में राष्ट्रीय शोक घोषित करने की भी मांग की।
कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में आयोजित शोक सभा में संतों ने शंकराचार्य की विद्वता और सरल स्वभाव का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाना चाहिए। संतों ने केंद्र सरकार से उनकी जीवन यात्रा पूरी होने पर राष्ट्रीय शोक ओर उत्तराखंड के देहरादून में स्थित हवाई अड्डे का नाम भी शंकराचार्य हवाई अड्डा करने की मांग की है।
प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन हिंदू धर्म के संरक्षक, संवर्धक रहे हैं। वे लगभग 45 वर्षों तक ज्योतिष शारदा पीठ पर विराजमान रहे हैं। स्वतंत्रता सेनानी, गौ रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को सदैव याद याद किया जाएगा। अध्यात्म जगत की ऐसी महान विभूति को जिसका जीवन सनातन हिंदू धर्म, गंगा की रक्षा के लिए समर्पित रहा, उनका स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान रहा।